
भोपाल। देश में 2021 में हुए सड़क हादसों में कुल 1,55 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें सबसे ज्यादा 70 हजार मौतें दोपहिया वाहन चालकों की हुईं। दोपहिया वाहनों से सर्वाधिक हादसे तमिलनाडु में हुए। जिसमें 8,259 (11.9प्रतिशत) जानें गईं। दूसरे नंबर पर यूपी में 7,429 (10.3प्रतिशत)जानें गईं। कार और जीप हादसों में मौतों के मामले में सबसे खराब रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश का है। यहां 4,039 (17.2प्रतिशत) मौतें इन वाहनों से हादसों में हुई। ट्रक, लॉरी और मिनी ट्रक से हुए हादसों में सबसे ज्यादा 3,423 लोगों की मौत मप्र में हुईं। यह इस श्रेणी के हादसों में हुई मौतों का 23.4प्रतिशत है। 2021 के दौरान हुए सड़क हादसों में कुल 18,936 पैदल यात्रियों की मौत हुई। इनमें से सबसे अधिक 2,796 लोगों की मौत अकेले बिहार में हुई। 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में मौतें 17फीसदी बढ़ी हैं। 2021 में भारत में 1.55 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए। 2020 में यह आंकड़ा 1.33 लाख था। यानी पिछले साल 17 हजार अधिक लोगों की दुर्घटनाओं में मौतें हुईं।
नशे की वजह से 1.9 फीसदी मौतें
कुल सड़क हादसों में से 1.9 प्रतिशत दुघर्टनाओं का कारण मादक पदार्थ या शराब के नशे में वाहन चलाना रहा। इसकी वजह से कुल 2,935 मौतें हुईं। नशे में वाहन चलाने से सबसे ज्यादा 27.1 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। तेलंगाना 11.6प्रतिशत के साथ दूसरे और झारखंड 11.1 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर है। मप्र इस मामले में चौथे नंबर पर है। यहां नशे में वाहन चलाने से 9.2प्रतिशत मौतें हुईं।
मध्यप्रदेश में शाम 6 से 9 के बीच अधिक दुर्घटनाएं
देश में पिछले साल 20.2 प्रतिशत सड़क हादसे (4,03,116 सड़क हादसों में से 81,410) शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच हुए। इस समय सबसे अधिक 14,415 सड़क हादसे तमिलनाडु में हुए जबकि, इसी अवधि में मप्र में 9,798 सड़क हादसे हुए। यह दूसरे नंबर पर है। केरल में शाम 6 से 9 के बीच 6,765 सड़क हादसे दर्ज किए गए।
हाईस्पीड की वजह से सबसे ज्यादा हादसे
2021 में हुए कुल 4.03 लाख सड़क हादसों में से 2.40 लाख हादसे ओवरस्पीडिंग की वजह से हुए। यानी सबसे ज्यादा हादसे इसी वजह से हुए। इन दुर्घटनाओं में 87 हजार लोगों की मौत हुई। खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग की वजह से पिछले साल कुल 1.03लाख हादसे हुए, जिनमें 42 हजार लोगों की जान गई और 91,893 लोग घायल हुए।
कोलकाता को सबसे सुरक्षित शहर बताने पर उठे सवाल
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता में प्रति लाख आबादी पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज होने के साथ यह 2021 में देश का सबसे सुरक्षित शहर बन गया है। यहां संज्ञेय अपराधों की संख्या के मामले में स्कोर 103.4 प्रति एक लाख आबादी है। पुणे इस मामले में दूसरे नंबर पर है। यहां यह आंकड़ा 256.8, तो हैदराबाद में यह आंकड़ा 259.9 है। सूची में शामिल अन्य शहरों में कानपुर (336.5), बेंगलुरु (427.2) और मुंबई (428.4) हैं। एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट में कोलकाता का स्कोर 129.5 था। हालांकि, विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में कोलकाता में अपराध के मामले कम होने की बात पर आशंका जताई है। जादवपुर विश्वविद्यालय में धर्म और समाज अध्ययन केंद्र की समन्वयक तथा समाजशास्त्र विभाग की पूर्व प्रमुख रूबी साईं कहती हैं कि यह आंकड़ा थोड़ा अजीब लगता है। राज्य सरकार की ओर से तथ्यों को छिपाने की बात स्पष्ट है। उन्होंने कहा- कोलकाता में अधिकतर एफआईआर दर्ज नहीं हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि ये आंकड़े गलत हैं।