
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में लोकल मदद के बिना आतंकवादी वहां पहुंच ही नहीं सकते थे। फारूक ने लोगों से सवाल करते हुए कहा कि आतंकी इतनी दूर कैसे आए? जरूर किसी स्थानीय व्यक्ति ने मदद की होगी।
इस बयान पर महबूबा मुफ्ती ने विरोध जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि फारूक का यह बयान देशभर में रहने वाले कश्मीरियों के लिए खतरा बन सकता है। इससे कुछ मीडिया चैनलों को कश्मीरियों और मुसलमानों के खिलाफ भड़काने का मौका मिल जाएगा।
महबूबा आतंकियों के घर जाती थी- फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की आलोचना करते हुए कहा कि वह आतंकवादियों के घर जाती थीं, उन्हें इसका जवाब देना चाहिए। फारूक ने आगे कहा कि वे हर बात का जवाब नहीं देंगे, लेकिन यह सच है कि कश्मीर में बाहरी लोगों को टारगेट किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि पंडित भाइयों को यहां से किसने भगाया?
फारूक ने कहा कि हम कभी टेररिज्म के साथ नहीं रहे हैं। हम पाकिस्तान के कभी नहीं थे और न होंगे। हम भारत का अटूट अंग हैं और भारत का मुकुट हैं।
मृतकों को लेकर जताया अफसोस
फारूक अब्दुल्ला हमले में मारे गए स्थानीय पोनी राइड ऑपरेटर आदिल हुसैन के घर पहुंचे और उन्हें शहीद बताया। उन्होंने कहा कि आदिल डरे नहीं, आतंकियों से मुकाबला किया- यही असली कश्मीरियत है।
उन्होंने 1999 में मौलाना मसूद अजहर की रिहाई को लेकर भी अफसोस जताया। कहा कि मैंने उस समय चेतावनी दी थी कि उसे मत छोड़िए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। अब वह कश्मीर को जानता है, रास्ते जानता है- हो सकता है पहलगाम हमले में उसका भी हाथ हो।
सिंधु जल संधि की समीक्षा की मांग
फारूक अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि की समीक्षा की बात दोहराई। कहा, ‘पानी हमारा है, तो हक भी हमारा होना चाहिए। जम्मू को पानी देने के लिए चिनाब नदी से जल लाने की योजना थी। लेकिन वर्ल्ड बैंक ने सहयोग नहीं किया।’
उन्होंने कहा कि भारत गांधी का देश है। हम पाकिस्तान को पानी रोकने की धमकी दे सकते हैं लेकिन हम क्रूर नहीं हैं।
पिछले बयानों में भी दी थी पाकिस्तान को चेतावनी
1 मई को फारूक ने कहा था, ‘अगर पाकिस्तान दुश्मनी चाहता है तो हम तैयार हैं। हमारे पास भी न्यूक्लियर पावर है। हमने पीएम मोदी को पूरा समर्थन देने की बात कही है।’
28 अप्रैल को उन्होंने कहा था कि वह हमेशा बातचीत के पक्ष में रहे हैं, लेकिन जो लोग अपने प्रियजनों को खो चुके हैं, उन्हें क्या जवाब देंगे? देश चाहता है कि अब ऐसा कदम उठाए जिससे दोबारा इस तरह की घटना न हो।