
भोपाल, प्रवीण श्रीवास्तव। मप्र की जेलों उन कैदियों की मेडिकल हिस्ट्री तैयार होगी जिनकी मौत हो चुकी है। इसे डेथ ऑडिट नाम दिया गया है। इसमें मौत के असल कारणों की जानकारी एकत्रित की जाएगी। राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल इस डेथ ऑडिट को तैयार करेगा। संभवत: देश में यह पहला मौका है जब डेथ ऑडिट कराया जा रहा है। इससे जेल विभाग, मेडिकल कॉलेज देखेगा कि किन्हीं खास क्षेत्रों में कोई खास तरह की बीमारियां तो नहीं पनप रहीं। अगर ऐसा है तो इलाज के लिए जेल हेल्थ सेंटर (जेएचसी) का निर्माण किया जाएगा।
क्या होगा फायदा
ऑडिट का बड़ा फायदा मौतों का सटीक कारण सामने आएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक यह पता चलेगा कि कैदी जेल में आने से पहले किसी बीमारी से पीड़ित तो नहीं थे। जेल में कोई ऐसा संक्रमण तो नहीं जो कैदियों को बीमार कर रहा हो। इन सब के साथ ही रिपोर्ट जेलों में जेएचसी के आधार के रूप में काम करेगा।
जेल अस्पताल यानी सुरक्षा
जेल के अधिकारियों की मानें तो प्रदेशभर में हर एक दिन लगभग 100 से 150 कैदियों को इलाज, ओपीडी या सर्जरी के लिए आसपास के मेडिकल कॉलेज ले जाना पड़ता है। इस दौरान न केवल कैदियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है, बल्कि इनके भागने का डर भी बना रहता है। जेल में इलाज की बेहतर सुविधाएं होने से ऐसी घटनाएं रुकेंगी।
जेल में बंद कैदी
प्रकार | संख्या | बंदी | बच्चे |
केंद्रीय जेल | 11 | 25037 | 78 |
जिला जेल | 41 | 13920 | 66 |
सब जेल | 73 | 6480 | 00 |
कुल | 125 | 45437 | 136 |
स्रोत: जेल विभाग
कैदियों की मौतों पर करेंगे डेथ ऑडिट : डॉ. आशीष गोहिया
हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया का कहना है कि, जेलों में हेल्थ सेंटर खोले जाने का प्रस्ताव था। हालांकि, इससे पहले हम कैदियों की मौतों पर डेथ ऑडिट करेंगे। यह पहला मौका होगा जब ऐसा ऑडिट किया जा रहा है।