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किसी ने जरी-जरदोजी तो किसी ने आइसक्रीम फैक्ट्री के जरिए दिया रोजगार

खुद का व्यवसाय स्थापित करने के बाद महिलाएं दूसरी महिलाओं को दे रहीं मौके

प्रीति जैन- महिला दिवस खासतौर पर महिलाओं की उपलब्धियों को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचाने का उत्सव होता है। कुछ साल पहले तक महिलाएं अपने लिए मुकाम बनाती दिखतीं थीं लेकिन अब सालों की मेहनत के बाद सफल महिलाएं संघर्ष के पड़ाव को पार कर चुकी हैं और वे दूसरों को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। इनका यह सफर रातों-रात सफलता के मुहाने पर नहीं पहुंचा बल्कि सालों की अथक मेहनत व प्रयास से उन्होंने अपना नाम अपने काम के जरिए स्थापित किया। किसी के ससुर, ननद तो किसी के पति ने उन्हें प्रेरित किया। कुछ ऐसी ही महिलाओं की सफलता की कहानी साझा कर रहे हैं, जो कि अपने स्थापित काम व नाम की वजह से दूसरों को स्वरोजगार दे पा रही हैं।

इंटरनेशनल वूमेंस डे के मौके पर शहर में होने वाले इवेंट्स

  • महिलाओं के लिए बर्ड वॉचिंग कैंप का आयोजन भोपाल बर्ड्स द्वारा वन विहार गेट-2 से होगा। इसका समय सुबह 7.30 से 9.30 तक रहेगा।
  • रीजनल साइंस सेंटर में डायटीशियन निधि शुक्ला पांडे का लेक्चर होगा दोपहर 12.30 बजे से आयोजित किया गया है।
  • भारत भवन में 11 महिला वायलिन वादकों का वायलिन वादन शाम 6.30 बजे से होगा।
  • न्यू मार्केट स्थित सेवन हिल्स स्कूल की गैलेरी में महिलाओ के विविध रूपों को दर्शाने वाली छवियों की प्रदर्शनी शाम 5 बजे से। एनआईडी की निदेशक डॉ. विद्या इसका शुभारंभ करेंगी।

पता नहीं था मेरी पेंटिंग पीएम को दी जाएगी

लंदन स्कूल ऑफ ट्रेंड्स, लैक्मे फैशन वीक में जीत हासिल करने से लेकर न्यूयॉर्क फैशन वीक में भाग लेने जैसे कई अचीवमेंट मेरी जिंदगी में रहे लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि पीएम नरेंद्र मोदी को मेरे द्वारा बनाई गई महाकाल की जरीजरदो जी पेंटिंग को जीआईएस में सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा भेंट करना मानती हूं। मुझे खुद नहीं पता था कि मेरा यह आर्टवर्क पीएम मोदी को दिया जाने वाला है। जीआईएस में डेलीगेट्स के लिए 700 आर्टवर्क तैयार किए। 15 साल से फैशन डिजाइनर के तौर पर काम कर रही हूं। आज मेरे पास 40 महिला व पुरुष कारीगरों की टीम और अपनी खुद की फैक्ट्री है। – ताजवर खान, फैशन फैकल्टी व डिजाइनर

350 महिलाओं को मिल पा रहा स्वरोजगार

मैंने 10 साल स्कूल में टीचिंग की और फिर मुझे दूसरे स्कूल में ट्रांसफर किया गया तो मुझे लगा कि अब यहां की पॉलिटिक्स नहीं झेल सकूंगी और मैंने जॉब छोड़ दी लेकिन मैं अपने आसपास की महिलाओं को उनके हुनर को मार्केट करने के लिए प्रेरित करती रहती थी तो सोचा क्यों न इसी फील्ड में काम करूं। हाल में मैंने जीआईएस में 28 जिलों के वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट के स्टाल लगाए। मैंने मिशो ऑनलाइन के साथ काम शुरू करके सैकड़ों महिलाओं को अपने प्रोडक्ट्स सेल करने का प्लेटफॉर्म दिया और मेंटर बनीं। फिर मैंने भोपाल में उन महिलाओं को अपने साथ जोड़ा, जिसके पास तमाम तरह की कलाओं के हुनर तो थे, लेकिन सामान बेचने का प्लेटफॉर्म नहीं था। मैं अब कॉलेज, कॉलोनीज, राग भोपाली आदि जगहों पर एग्जीबिशन आयोजित कराकर लगभग 350 महिलाओं को स्वरोजगार का मौका दे रही हूं। शुरुआत में मैं अकेले ही कंपनियों के पास जाकर स्पॉन्सरशिप मांगती थी, यहां तक की मैंने इंडियन ऑयल के सहयोग से पेट्रोल पंप तक पर शॉपिंग स्टॉल लगाए ताकि महिलाओं को स्टाल लगाने का पैसा न देना पड़े। खुशी की बात यह है कि अपनी स्किल्स के माध्यम से महिलाएं सोशल मीडिया का यूज करके अपने काम का विस्तार कर पा रही हैं। मैं लगातार महिलाओं को अपने साथ जोड़ रही हूं। – अनुश्री सरकार, संचालक, अपराजिता- नारी की उड़ान

सेवा कार्य के लिए मिला सम्मान

मैंने 30 वर्ष पहले अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूर्ण की और 2011 में 110 बिस्तरों का नोबल मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल खड़ा किया। गरीब व असहाय मरीजों का नि:शुल्क उपचार करती हूं, ताकि वे दुबारा उम्मीद जगा सकें। मुझे मरीजों के स्वास्थ्य के प्रति लगनशीलता के कारण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कृष्णा गौर द्वारा कृष्णा सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान के तत्वावधान में चिकित्सा में अतुलनीय योगदान के लिए महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भोपाल के सर्वश्रेष्ठ आईसीयू का अवॉर्ड दिया। आज भी 14 से 16 घंटों तक काम करती हूं ताकि मरीजों व स्टाफ से जीवंत संपर्क में रहूं। – डॉ. पद्मा मिश्रा, डायरेक्टर, नोबल हॉस्पिटल

आइसक्रीम ब्रांड के जरिए दे रहीं रोजगार

आइसक्रीम की फील्ड में काम करने का मुझे बहुत स्कोप दिखा इसलिए मैंने ऑनलाइन टीचिंग करते हुए मेट्रोज में जाकर आइसक्रीम मेकिंग के कोर्स किए। इसके बाद अपनी फैक्ट्री शुरू करना थी, जिसके लिए पैरेंट्स ने मंडीदीप में अपनी जमीन दी और डेढ़ साल में मुझे लोन मिला। मैंने तय किया था कि आसपास की महिलाओं को रोजगार दूंगी लेकिन आइसक्रीम प्रोडक्शन मशीन की ट्रेनिंग मुझे खुद देना पड़ी ताकि वे बिना डर के काम सीख सकें। मैं होटल, रेस्त्रां, मैरिज गार्डन और ऑफिसेस में अपने आइसक्रीम ब्रांड क्रिमेला के सैंपल लेकर जाती थी ताकि मुझे ऑर्डर मिल सकें लेकिन यह इतना आसान नहीं होता। तीन साल की मेहनत के बाद मुझे बल्क ऑर्डर मिलने शुरू हुए। अब मैं रिटेल आइसक्रीम काउंटर भी शुरू कर रही हूं, जिसे भोपाल व इंदौर में महिलाएं संचालित करेंगी। मैं अभी 40 लोगों को रोजगार दे पा रही हूं, जिसमें से 25 महिलाएं हैं। – सोनाली सिंह, डायरेक्टर क्रिमेला

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