
नितिन साहनी, भोपाल। 2018 में विधानसभा और 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद आए कोरोना के दौर ने सियासी दलों को आधुनिकतम तकनीक अपनाने पर मजबूर कर दिया है। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर इस बार चुनावी तैयारी फिजिकल के बजाय वर्चुअल आधार पर की जा रही है।
चुनाव से पहले ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने तय कर लिया है कि जिन राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, उन सभी राज्यों में फिजिकल बैठकों के बजाय वर्चुअल बैठकों के जरिए अधिकतम संवाद किया जाए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सहारा लेगी पार्टियां
मध्य प्रदेश बीजेपी नेतृत्व ने इस मंत्र को अपना लिया है और प्रदेश भाजपा संगठन के आला नेता अंतिम तीन महीनों में केवल चंद बड़ी बैठकों के अलावा वर्चुअल आधार पर ही पदाधिकारियों से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता से संपर्क करेंगे। इसके लिए बीजेपी ऑडियो ब्रिज और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सहारा लेगी। प्रदेश में विपक्षी कांग्रेस भी इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं है और वहां भी चुनावी दौर में वर्चुअल बैठकों की तैयारी की गई है। लेकिन, कांग्रेस-बीजेपी की तरह वर्चुअल बैठकों पर पूरी तरह आश्रित होने के बजाय बैलेंस बनाकर चुनाव जीतने की रणनीति बना रही है।

बीजेपी किराए के कार्यालय से करेगी शंखनाद
इलेक्शन से पहले जहां सियासी दलों के नेता और कार्यकर्ता एक-दूसरे से रेस करते नजर आ रहे हैं। वहीं राजनैतिक दलों के कार्यालयों में भी होड़ दिखाई दे रही है। यह तय है कि कांग्रेस अपने मालिकाना स्वामित्व वाले दफ्तर से और बीजेपी किराए के कार्यालय से चुनावी रण में उतरेगी। विधानसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश भाजपा ने भोपाल में अपना पुराना प्रदेश कार्यालय तोड़कर उसे नया बनाने का काम शुरू कर दिया है, जिसमें 14 महीने का वक्त लगना है।

ऐसे में विधानसभा चुनाव तक प्रदेश बीजेपी कार्यालय फिलहाल किराए पर लिए गए पुराने आरटीओ भवन में ही लगेगा, जिसे मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है। कलेक्टर रेट पर शासन से किराए पर लिए गए इस अस्थाई बीजेपी कार्यालय में वर्चुअल बैठकों की सुविधा से लैस तीन अलग-अलग सभागार बन गए हैं। जबकि, पदाधिकारियों और आगंतुकों के बैठने के लिए लगभग 50 केबिन बने हैं। बीजेपी के इस दफ्तर में 100 से ज्यादा फोर व्हीलर और लगभग 300 टू व्हीलर की पार्किंग सुविधा भी मौजूद है।
कांग्रेस दफ्तर में सालों बाद बने नए चैंबर
कांग्रेस ने भी चुनाव से पहले अपने तीन दशक पुराने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय (पीसीसी) के बेसमेंट में 60 से ज्यादा नए केबिन बनाकर मोर्चा और प्रकोष्ठों को आवंटित कर दिया है। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस कार्यालय को भी वर्चुअल बैठकों के लिए तैयार किया जा रहा है।

इसके अलावा चुनाव से पहले ही पीसीसी की बैठक व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जा रहा है। ताकि, भोपाल आने वाले कार्यकर्ताओं को कम से कम खड़ा न रहना पड़े। बीजेपी के वर्तमान कार्यालय से लगभग एक तिहाई आकार वाले पीसीसी में वाहन खड़े करने के लिए पर्याप्त स्थान का आभाव होना भी एस समस्या बनी हुई, जिसे दूर करने के लिए कांग्रेस प्लानिंग कर रही है। फिलहाल पीसीसी के भीतर केवल 6 फोर व्हीलर और लगभग 50 टू व्हीलर ही पार्क हो सकते हैं।
वार रूम पर असमंजस
किसी भी चुनाव में सबसे अहम रोल वार रूम का होता है, जो चुनावों की तमाम तैयारी से लेकर पार्टी नेतृत्व के हर एक फैसले को लागू करने में अहम रोल निभाता है। बीजेपी में वार रूम वर्तमान किराए के भवन में ही बनेगा या इसके लिए किसी अन्य जगह का चयन होगा इस पर पार्टी नेतृत्व में मंथन जारी है। कांग्रेस की बात करें तो वहां भी वार रूम को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस बार चुनावों को लेकर कमलनाथ किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते। लिहाजा बहुत हद तक संभव है कि कांग्रेस का वार रूम इस बार पीसीसी के बजाय किसी अन्य स्थान पर बनाया जाए।
प्रदेश बीजेपी में आगामी चुनाव को देखते हुए यह तय किया गया है कि फिजिकल बैठकों से ज्यादा फोकस वर्चुअल बैठकों पर रहेगा। इससे श्रम और ऊर्जा से साथ ही पार्टी के वित्तीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सकेगा।
– रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री, बीजेपीप्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बेसमेंट में फिलहाल 60 नए चैंबर बन गए हैं, जिन्हें अलग अलग मोर्चा और प्रकोष्ठों को आवंटित किया गया है। चुनावी दौर को देखते हुए अन्य आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई जा रही हैं।
– केके मिश्रा, चेयरमैन, मीडिया विंग, पीसीसी