
वाशिंगटन। जुड़वां बच्चों को लेकर हुई नई स्टडी में सामने आया है कि ट्विंस बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में हार्ट डिजीज का खतरा दोगुना है। वहीं एक बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं इस खतरे से कोसों दूर हैं। यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश हुई इस स्टडी में पाया गया है कि जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को मां बनने के एक साल के भीतर ही हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। स्टडी में सामने आया है कि ऐसी महिलाओं को अगर प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या थी तो जुड़वां बच्चों के जन्म के बाद हार्ट डिजीज का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
यह अध्ययन अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ओर से किया गया है। इसमें सामने आया है कि पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में जुड़वां गर्भधारण के मामले बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (बांझपन का इलाज) और अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी है। शोध के मुताबिक अगर जुडवां प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर था, तो हार्ट डिजीज का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
हाई बीपी होने पर खतरा आठ गुना बढ़ जाता है
मुख्य शोधकर्ता डॉ. रूबी लिन के अनुसार अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या नहीं थी तो भी जुड़वां बच्चों की मां बनने पर हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना दोगुनी से अधिक रही। हाई ब्लड प्रेशर के मामले में खतरा आठ गुना ज्यादा बढ़ गया।
3.6 करोड़ डिलीवरी के मामलों पर की गई स्टडी
स्टडी करने वाली टीम ने 2010 से 2020 के बीच अमेरिका में 3.6 करोड़ डिलीवरी केसेस के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि जुड़वां बच्चों की माताओं में हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर 1,105.4 प्रति 1 लाख प्रसव थी। वहीं एक बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में यह दर 734.1 प्रति 1 लाख प्रसव थी।
वैज्ञानिकों ने दी सलाह
- शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से गुजरने वाली महिलाओं को खुद का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
- खासकर अधिक उम्र, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट डिजीज से पीड़ित महिलाओं को जुड़वां गर्भावस्था को लेकर जागरूक किया जाना चाहिए।
- डॉक्टर्स को इन महिलाओं की प्रसव के बाद एक साल तक नियमित जांच करनी चाहिए, ताकि किसी भी हार्ट प्रॉब्लम का समय पर पता लगाया जा सके और सही इलाज किया जा सके।
मां के हार्ट को करनी पड़ती है अधिक मेहनत
जुड़वां गर्भावस्था के दौरान मां के हार्ट को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और डिलीवरी के बाद हृदय को सामान्य स्थिति में लौटने में कई सप्ताह लग जाते हैं, जिस कारण हार्ट डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं थी, उन्हें भी बच्चे की डिलीवरी के बाद एक साल तक हृदय रोग का खतरा बना रहता है। – डॉ. रूबी लिन, मुख्य शोधकर्ता, अमेरिका