
नई दिल्ली। यूपी के प्रयागराज में अगले महीने होने वाले महाकुंभ में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर नजर रखने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से लैस कैमरे, आरएफआईडी रिस्टबैंड और मोबाइल ऐप ट्रैकिंग जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह विशाल धार्मिक आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होगा। उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश खन्ना ने 45 दिवसीय इस आयोजन के लिए किए जा रहे इंतजामों का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि महाकुंभ में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को उन्नत तकनीक का उपयोग करके कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया जाएगा। उन्होंने अनुमान जताया कि इस 45 दिवसीय आयोजन में 25 करोड़ श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं। इस बीच उन्होंने कहा कि इनमें से 10 करोड़ श्रद्धालु ट्रेन से आएंगे। बता दें, महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा।
प्रतिदिन 5 लाख वाहन हो सकेंगे पार्क : सुरेश खन्ना ने कहा, इस संबंध में 101 स्मार्ट पार्किंग स्थल बनाए गए हैं, जो प्रतिदिन पांच लाख वाहनों को समायोजित करने में सक्षम हैं। पार्किंग क्षेत्र 1867.04 हेक्टेयर में फैला है, जो 2019 में पार्किंग के लिए आवंटित 1103.29 हेक्टेयर की तुलना में 763.75 हेक्टेयर अधिक है। इन पार्किंग स्थलों की निगरानी एकीकृत कमांड सेंटर के माध्यम से की जाएगी।
गूगल मैप पर सभी स्थानों का एकीकरण किया गया
यूपी सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना के अनुसार साफ-सफाई और टेंट के लिए आईसीटी निगरानी, भूमि और सुविधा आवंटन के लिए सॉफ्टवेयर, बहुभाषी डिजिटल साइनेज (वीएमडी), एक स्वचालित राशन आपूर्ति प्रणाली, ड्रोन-आधारित निगरानी और आपदा प्रबंधन, 530 परियोजनाओं की निगरानी के लिए सॉफ्टवेयर, एक इन्वेंट्री ट्रैकिंग प्रणाली और गूगल मैप पर सभी स्थानों का एकीकरण शामिल है।
3 करोड़ श्रद्धालु करेंगे रामलला के दर्शन
अयोध्या नगर निगम के अनुसार गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में 25 करोड़ लोगों के पहुंचने का अनुमान है, जिसमें से लगभग 2.5 करोड़ से 3 करोड़ भक्त अयोध्या में भगवान राम लला के दर्शन करने आ सकते हैं। त्रिपाठी ने बताया कि अभी प्रतिदिन 1.5 लाख से 2 लाख लोग अयोध्या आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए साल के दिन यानी 1 जनवरी 2025 को तीन से पांच लाख लोग भगवान राम के दर्शन करने आ सकते हैं।
ऐसे की जाएगी सुरक्षा
- पहली विधि विशेषता आधारित खोज है, जहां लोगों की कैमरों का इस्तेमाल करके निगरानी की जाएगी।
- दूसरी विधि में आरएफआईडी रिस्टबैंड शामिल हैं, जो तीर्थयात्रियों को प्रदान किए जाएंगे। इन रिस्टबैंड के माध्यम से, आरएफआईडी रीडर का इस्तेमाल करके प्रवेश और निकास के समय का पता लगाया जाएगा।
- तीसरा तरीका मोबाइल ऐप ट्रैकिंग है, जहां तीर्थयात्रियों की सहमति से मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करके जीपीएस के माध्यम से उनके स्थान को ट्रैक किया जाएगा।
- तैयारियों में एक खास वेबसाइट और ऐप, 11 भाषाओं में एआई-संचालित चैटबॉट, लोगों और वाहनों के लिए क्यूआरआ धारित पास, बहुभाषी डिजिटल खोया- पाया केंद्र भी संचालित किया जाएगा।