
दुनियाभर में कोरोना के अलावा मंकीपॉक्स वायरस भी तेजी से फैलने लगा है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 20 दिनों में 27 देशों में इसका संक्रमण फैल चुका है। WHO द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस वायरस ने अब तक 780 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है।
लोगों की जान लेने लगा है ये वायरस
सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि इस वायरस ने अब लोगों की जान भी लेने लगा है। कांगो में इस साल जहां मंकीपॉक्स से नौ लोगों की मौत हो गई, वहीं नाइजीरिया में पहली मौत दर्ज की गई है।
WHO ने बताए मंकीपॉक्स को रोकने के उपाय
फ्रंटलाइन वर्कर्स की सुरक्षा जरूरी
कोई भी जो परीक्षण के लिए नमूने ले रहा है या व्यक्तियों की देखभाल कर रहा है, उन्हें सही जानकारी होना जरूरी है। इसके अलावा उनके पास सही व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण होने जरूरी हैं।
टीकों का सही इस्तेमाल जरूरी
बीमारी के लिए एंटीवायरल और वैक्सीन हैं, लेकिन हमें इनका उचित तरीके से उपयोग करना होगा। इन टीकों की वजह से बीमारी का जोखिम कम किया जा सकता है।
मंकीपॉक्स के बारे में सही जानकारी जरूरी
मंकीपॉक्स क्या है, इस बारे में लोगों को सही जानकारी देना बहुत जरूरी है। इसे लेकर संगठन सभी विशेषज्ञों के साथ एक बड़ी वैश्विक बैठक करने जा रहा है।
वायरस को इंसान से इंसान में फैलने से रोकना प्राथमिकता
वायरस को इंसान से इंसान में फैलने से रोकना होगा। इसके लिए पीड़ितों को आइसोलेशन में रखना जरूरी है।
खतरे वाले देशों में मेडिकल क्लिनिक बढ़ाने पर जोर
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जिन देशों में मंकीपॉक्स बढ़ रहा है, उन देशों के अलावा खतरे वाले सभी देशों में स्वास्थ्य क्लीनिकों को लैस करने की आवश्यकता है ताकि यह पहचानने में सक्षम हो सके कि मंकीपॉक्स क्या है और यह सुनिश्चित किया जा सके कि किन लोगों को मंकीपॉक्स होने का संदेह है, ताकि उन्हें उचित देखभाल मिल सके।
भारत सरकार ने भी जारी की थी गाइडलाइन
- वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 31 मई को गाइडलाइन जारी की थी। बता दें कि भारत में अभी तक इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
- मंत्रालय ने गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी।
- संक्रामक अवधि के दौरान किसी रोगी या उनकी दूषित सामग्री के साथ अंतिम संपर्क में आने के बाद 21 दिनों की अवधि के लिए हर रोज निगरानी की जानी चाहिए।
- अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के मामले को कंफर्म माना जाएगा।
- मंकीपॉक्स के लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग ही मान्य होगी।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।
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कैसे फैलती है बीमारी?
- मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
- इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बेहद कम सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।
- यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। मरीज 7 से 21 दिन तक मंकी पॉक्स से जूझ सकता है।
- अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं। अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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क्या हैं इसके लक्षण?
- मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
- मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
- मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
- बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।
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कितनी खतरनाक है ये बीमारी?
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- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर 10वें व्यक्ति की मौत हो सकती है। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 2 से 4 हफ्ते बाद लक्षण धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं।
- जंगल के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा बना रहता है। ऐसे लोगों में एसिम्टोमैटिक संक्रमण भी हो सकता है।
- छोटे बच्चों में गंभीर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, कई बार ये मरीज के स्वास्थ्य और उसकी जटिलताओं पर भी निर्भर करता है।