
वाशिंगटन। हाल ही में किए गए एक शोध में दावा किया गया है कि मानव मस्तिष्क पर धीरे-धीरे प्लास्टिक की परत चढ़ रही है। इसका सीधा मतलब है कि हमारे आसपास मौजूद हवा, पानी, भोजन ही नहीं, हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में भी प्लास्टिक पहुंच चुका है। नेचर मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार साल 2024 में एक शव परीक्षण के दौरान जुटाए गए सामान्य मानव मस्तिष्क के सैंपल में आठ साल पहले के नमूनों की तुलना में कहीं ज्यादा नैनो प्लास्टिक्स पाए गए।
यह मात्रा करीब एक चम्मच के बराबर थी। इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक मैथ्यू कैंपेन ने कहा कि शव के मस्तिष्क के नमूनों में उनके किडनी और लिवर की तुलना में सात से 30 गुना ज्यादा नैनो प्लास्टिक यानी (प्लास्टिक के छोटेछोटे टुकड़े) थे। यह मात्रा करीब एक चम्मच के बराबर थी। शोध के अनुसार यह मात्रा साल 2016 के शव परीक्षण में जुटाए गए मस्तिष्क के सैंपल्स की तुलना में करीब 50 प्रतिशत ज्यादा है। इसका मतलब यह होगा कि आज हमारा मस्तिष्क 99.5 प्रतिशत मस्तिष्क है और बाकी प्लास्टिक है।
डिमेंशिया मरीजों में पांच गुना अधिक
शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया से पीड़ित 12 लोगों के मस्तिष्क में एक स्वस्थ मस्तिष्क की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक प्लास्टिक के टुकड़े पाए। ये टुकड़े इतने बारीक थे कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। ये मस्तिष्क की धमनियों और नसों की दीवारों के साथ-साथ मस्तिष्क की प्रतिरक्षा कोशिकाओं में भी घुस चुके थे।
खाना और पानी के माध्यम से शरीर में पहुंच रहा प्लास्टिक
- माइक्रोप्लास्टिक हमारे खाने और पानी के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है।
- खासतौर पर प्लास्टिक से दूषित पानी से सिंचित फसलें और मांसाहारी भोजन में इसकी मात्रा अधिक पाई गई है।
- यह पाया गया कि पॉली एथलीन (जो बोतलों और प्लास्टिक कप में इस्तेमाल किया जाता है) सबसे ज्यादा दिमाग में जमा हो रहा है।
- शोध में यह भी सामने आया कि यह छोटे-छोटे कण ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर दिमाग में प्रवेश कर रहे हैं।
माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले खतरे
- सेल्स को नुकसान पहुंचाना और सूजन पैदा करना।
- दिमाग के कार्यों में बाधा डालना, जिससे याददाश्त कमजोर हो सकती है।
- हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ना।
यूं कम कर सकते हैं माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव
- सिंगल-यूज प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें।
- खाने को प्लास्टिक कंटेनर में स्टोर करने की बजाय कांच या धातु के बर्तनों का इस्तेमाल करें।
- प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने के बजाय फिल्टर्ड पानी का इस्तेमाल करें।
- घर में हाई-क्वालिटी एयर फिल्टर और डस्ट फ्री वातावरण बनाए रखें।
- ज्यादा प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें।