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कॉलेज में मिले, स्टार्टअप शुरू किया और फिर शादी के बाद दोगुनी रफ्तार से बिजनेस हुआ ग्रो

प्रीति जैन। लव मैरिज हो या अरेंज शादी के बाद रिश्ते को संभालना कई कपल्स के लिए सबसे मुश्किल काम साबित होता है। एक साथ कुछ घंटे भी शादीशुदा कपल साथ में बिना झगड़ों के नहीं गुजार पाते। वहीं कई ऐसे भी कपल्स हैं जो कि पूरा दिन साथ में न सिर्फ समय बिताते हैं, बल्कि साथ में स्टार्टअप करके अपने कॅरियर को ऊंचाइयां भी दे रहे हैं। यह कहते हैं, हमारे स्टार्टअप आइडिया से ही हमारी जोड़ी बनी। काम करते हुए हमने एक-दूसरे को समझा। हमारी अंडरस्टैंडिंग ही शुरुआत से ऐसी बनी कि किसी तरह के मनमुटाव या झगड़े का स्पेस नहीं होता। छोटी-मोटी बातें तो आमतौर पर सभी के साथ होती हैं, लेकिन हमारे बीच में काम केंद्र में रहता है तो बाकी बातें हमारे लिए महत्व नहीं रखती और इससे से हमारा प्यार समय के साथ गहरा होता जाता है। ऐसे ही कुछ युवा कपल्स की कहानियां वेलेंटाइन डे पर लेकर आएं हैं जो पर्सनल और प्रोफेशनल फ्रंट पर एक-दूसरे को सपोर्ट करते हुए अपने स्टार्टअप को ग्रो कर रहे हैं।

शादी के पहले से साथ में स्टार्टअप शुरू किया

हम बचपन से एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन प्यार कॉलेज में हुआ। घूमनेफिर ने के दौरान मैंने और अर्जुन ने महसूस किया कि हम रोज बाहर खाते-पीते हैं, जिससे मोटे होते जा रहे हैं। हमने तय किया कि फ्रूट्स लेकर खाया करेंगे। बाहर से फल लेकर रास्ते में उन्हें धोकर खाना कुछ महीनों तक करते रहे लेकिन फिर लगा कि यह दिक्कत तो हमारे जैसे कई कपल्स की होगी। यही से फ्रूट्स बॉक्स सप्लाई का आइडिया आया और शादी से पहले ही हम दोनों साथ में स्टार्टअप करने लगे। फिर रिलेशनशिप और काम दोनों चलता रहा और हमने 11 साल बाद शादी की। यह हमारा प्यार और अंडरस्टैंडिंग ही है कि इतने घंटे एक ऑफिस में साथ रहते हैं। मेरे पति अर्जुन को मेरे नाराज होने पर मेरी चुप्पी सहन नहीं होती। वो कहते हैं, तुम भले लड़ लो लेकिन बात करना बंद मत करना। बेस्ट पार्ट यह है कि हम एकदूसरे की सुनते हैं और मानते भी हैं, भले ही उस बात में कोई कमी हो, हम दोनों मिलकर आगे सुधार लेते हैं। -गार्गी भारद्वाज, सेल्फ केयर स्टार्टअप

बिजनेस थॉट शेयर करने से बनी जोड़ी

आरजीपीवी में पलक से मिला जो मेरे साथ एमटेक कर रही थीं। एक दिन उन्होंने पूछा कि रेगुलर यूनिवर्सिटी नहीं आते, क्या कहीं जॉब करते हो, तब मैंने बताया कि मैं ईको-फ्रेंडली सेनेटरी पैड पर काम कर रहा हूं, क्योंकि मैंने अपने गांव में देखा कि मेंसुरेशन हाइजीन पर बात तो दूर सेनेटरी पेड भी महिलाएं यूज नहीं करतीं। पलक ने मुझे बताया कि शहर में भी यही स्थिति है। फिर मेरे भाई अनुराग ने सेनेटरी पैड मशीन खुद तैयार की, तब मैं और पलक रिसर्च वर्क साथ करने लगे। इस तरह पांच साल निकल गए और एक दिन मैंने बड़ी हिम्मत करके उससे सीधे पूछ लिया क्या मुझसे शादी करोगी। मुझे 90 फीसदी आशंका थी कि वो मना कर देगी, क्योंकि वो शहरी लड़की थी और मैं गांव का रहने वाला। लेकिन उसने हां कर दी। हमारी शादी का बेस्ट पार्ट यह रहा कि मेरी पुराने विचारों वाली जॉइंट फैमिली को पलक ने गांव में रहकर बदल दिया और अब वो हमारे स्टार्टअप को ग्रो कर रही है। -विराग बोहारे, राग इनोवेशंस

पत्नी के आइडिया से शुरू हुआ काम

नताशा वर्किंग वूमन रही, लेकिन जिम्मेदारियों के चलते उसे काम छोड़ना पड़ा। हालांकि वो अवसर की तलाश में थी। कोविड के बाद जब मैंने फिर से ऑफिस जाना शुरू किया तो अक्सर मोबाइल चार्जर या सामान घर पर भूल जाता था। तभी नताशा ने कहा कि ऐसा कई लोगों के साथ होता होगा क्यों न पिक एंड ड्रॉप फैसिलिटी शुरू करें। मुझे आइडिया जमा और मैंने जॉब के साथ दो डिलीवरी व्बॉय हायर करके काम शुरू किया। रिस्पॉन्स अच्छा मिला तो नताशा ने कहा कि जॉब छो़ड़ दें, क्योंकि वो जानती थी कि मैं कभी भी नौकरी करना नहीं चाहता था। नताशा ने कहा कि हम अपने खर्चों में कटौती करेंगे लेकिन अपना काम करेंगे। हम दोनों अपने स्टार्टअप ड्रॉप जोन को भोपाल में सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं। हम दोनों के बीच बातें कम होती है, बस कुछ शब्दों और भावों से एकदूसरे के दिल की बात जान लेते हैं यह हमारे रिश्ते का बेस्ट पार्ट है। -अनुज भटनागर, ड्रॉप जोन, स्टार्टअप

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