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तालाब में मिलीं 30 लाख की दवाएं, नगर निगम ने FIR के लिए दिया पुलिस को आवेदन, ड्रग डिपार्टमेंट ने भी शुरू की जांच

भोपाल। छोटे तालाब में कल शाम लाखों रूपए की कीमत की दवाएं मिलने का मामला लगातार उलझता जा रहा है। बेहद महंगी इन दवाओं के मिलने के अगले दिन नगर निगम ने छोटे तालाब को प्रदूषित करने के लिए दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए पुलिस को आवेदन दे दिया है। निगम की तरफ से थाना जहांगीराबाद में FIR दर्ज कराई जाएगी, वहीं इस बहुचर्चित मामले में जांच के लिए ड्रग्स डिपार्टमेंट के अधिकारी भी छोटे तालाब पहुंचे और अपनी जांच शुरू की। ड्रग डिपार्टमेंट द्वारा इस सैंपल लेने के बाद दवा की बाकी मात्रा नगर निगम ने नष्ट करने के लिए इंसीनिरेटर भेज दी।

30 लाख की दवा, कुछ एक्सपायरी कुछ नॉन एक्सपायरी

छोटे तालाब में मिली इन दवाओं की तफ्तीश के लिए पहुंचे औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की जांच में ये सामने आया है कि टीकोप्लानिन नाम की ये दवाएं इंजेक्शन के तौर पर सांस संबंधी रोगों में उपयोग की जाती है। इन दवाओं में से कुछ 2022 में एक्सपायर हो चुकी हैं जबकि कुछ में एक्सपायरी डेट 2024 की है। भोपाल की ड्रग इंस्पेक्टर तबस्सुम मेरोटा के मुताबिक इन दवाओं का निर्माण हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी द्वारा किया गया है। अब कंपनी को खत लिखकर ये जानकारी जुटाई जाएगी कि इस बैच की दवाएं किस अस्पताल को कब सप्लाई की गई थी? इसके बाद संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि ये साफ है कि ये दवाएं मूल रूप से सांस संबंधी गंभीर रोगों के लिए उपयोग में लाई जाती हैं और इनके एक इंजेक्शन की एमआरपी लगभग 2900 रूपए हैं। ऐसे में जिस मात्रा (लगभग 3 बॉक्स भरकर) में इसे तालाब में फैंका गया है उस हिसाब से दवाओं की कीमत लगभग 30 लाख बताई जा रही है।

सरकारी और निजी सप्लाई को लेकर भी संशय

इन दवाओं की सप्लाई सरकारी अस्पतालों को की गई या फिर ये दवाएं किसी निजी अस्पताल को बेची गईं थीं, इसका खुलासा भी अब तक नहीं हुआ है। हालांकि इस मामले की जांच कर रही ड्रग डिपार्टमेंट की टीम को प्रारंभिक तौर पर दवाओं के पैकेट्स पर नॉट फॉर सेल या गवर्नमेंट सप्लाई जैसे कोई निर्देश लिखे हुए नहीं मिले हैं, ऐसे में  ये अंदाज लगाया जा रहा है कि ये दवाएं निजी अस्पताल या दवा विक्रेता को सप्लाई की गई होंगी। इस मामले को उजागर करने वाले एक्टिविस्ट प्रदीप खंडेलवाल का दावा है कि मामले के तार बड़ी साजिश या भ्रष्टाचार से जुड़े हो सकते हैं, लिहाजा इस मामले की हर एक संभावना को देखते हुए इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए।

उठ रहे सवाल और संभावनाएं

  • पास ही स्थित गैस राहत अस्पताल की डिस्पेंसरी की दवा हो सकती है
  • यह बायो मेडिकल वेस्ट है तो इसका निस्तारण इंसीनिरेटर में ही क्यों नहीं किया गया
  • यह भोपाल के छोटे तालाब को प्रदूषित करने की साजिश तो नहीं
  • भ्रष्टाचार की भी संभावना क्योंकि इस्तेमाल में नही आने पर भी खरीदी गई लाखों की दवा
  • ये दवा कोराना काल के बाद ब्लैक और यलो फंगस की तो नहीं
  • अगर निजी अस्पताल की दवा होती तो इसका इस्तेमाल हो जाता, फैंका नही जाता

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