ताजा खबरभोपाल

एमबीबीएस का रिजल्ट हो सकता है लेट, प्रोफेसरों ने कॉपी जांचने से किया इंकार

मेडिकल विवि के प्रोफेसरों का आरोप-कॉपी चेक करने का 3 साल से नहीं मिला भुगतान

भोपाल। अगले सत्र में एमबीबीएस परीक्षा के बाद कॉपी जांचने में परेशानी हो सकती है। दरअसल, मेडिकल कॉलेजों के कई प्रोफेसरों ने कॉपी जांचने से इंकार कर दिया है। ऐसे में एमबीबीएस के रिजल्ट में भी देरी हो सकती है। मप्र में मेडिकल परीक्षाओं का आयोजन जबलपुर स्थित मप्र मेडिकल विवि (एमयू) द्वारा किया जाता है। कॉपी जांचने का काम मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर करते हैं। इसके बदले में एमयू, प्रोफेसरों को प्रति कॉपी 50 रुपए भुगतान करता है। प्रोफेसरों का आरोप है कि विवि ने कई वर्षों से कॉपी जांचने का भुगतान नहीं किया है। कई प्रोफेसरों का एक लाख रुपए तक बकाया है। सॉμटवेयर बदलने से गायब हुआ डेटा: जानकारी के मुताबिक, इस स्थिति के पीछे बड़ा कारण एमयू से जुड़ी व्यवस्थाएं ही हैं। विश्वविद्यालय में परीक्षा संबंधी कार्य एक निजी कंपनी के पास था। 2021 में कंपनी पर परीक्षा नियंत्रक तथा लिपिक के बीच निजी मेल आईडी पर रिजल्ट भेजने के आरोप लगे। इसके बाद कंपनी से काम छीन लिया गया। नई कंपनी आई तो उसने पुराना सॉμटवेयर खत्म कर अपना सॉμटवेयर लागू किया, इससे पुराना सारा डेटा खत्म हो गया। यही नहीं, करीब एक साल बाद पुरानी कंपनी कोर्ट से स्टे लेकर पुन: काम पर लौट आई। इसने भी फिर नया सॉμटवेयर लागू कर दिया। इसके चलते अब एमयू के पास पुराना डेटा नहीं है, यही कारण है कि प्रोफेसरों का भगुतान अटका हुआ है।

हो रहा डिजिटाइजेशन

इधर, स्थापना के एक दशक बाद भी मेडिकल यूनिवर्सिटी का काम का डिजिटलाइजेशन नहीं हो सका है। कॉपियों की जांच में मॉडरेशन की व्यवस्था लागू थी। इसके तहत 20 प्रतिशत कॉपियों की दोबारा जांच होती थी। यह काम भी अब तक अधूरा है। मेडिकल विवि से संबद्ध कॉलेजों में अलग-अलग पैथी के 10 प्रकार के कोर्स संचालित हैं। इनमें मेडिकल, आयुर्वेद, डेंटल, यूनानी, सिद्धा, योगा एंड नेचुरोपैथी, होम्योपैथी, नर्सिंग, पेरामेडिकल, आॅडियोलॉजी एंड स्पीच लेंग्वेज पैथोलॉजी के कोर्स शामिल हैं।

एक कॉपी जांचने के लिए मिलते हैं केवल 10 मिनट

प्रोफेसरों ने कॉपी चेक न करने का फैसला काम की अधिकता के चलते भी लिया है। दरअसल, मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों को ओपीडी, आॅपरेशन, आईपीडी के साथ टीचिंग का काम करना पड़ता है। कोर्ट केस के साथ अन्य सरकारी योजनाओं का काम भी है। इन सबके बीच ही डॉक्टरों को कॉपी भी जांचनी होती हे। ऐसे में कई बार डॉक्टरों को एक कॉपी जांचने के लिए 10 मिनट ही मिलते हैं।

जल्द भुगतान किया जाएगा

इस पर चर्चा हुई है, कुछ पैसा रिलीज भी किया गया है। जल्द ही भुगतान किया जाएगा। एमयू के सारे काम का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है, इससे आगे दिक्कत नहीं होगी। – डॉ. सचिन कुचिया, परीक्षा नियंत्रक, मेडिकल यूनिवर्सिटी 

संबंधित खबरें...

Back to top button