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Delhi Liquor Scam Case : BRS नेता K. Kavita को बड़ा झटका, राउज एवेन्यू कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति केस में गिरफ्तार BRS नेता के. कविता को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को कविता की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इस केस की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही है। कविता ने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। 7 मई को कविता की ज्यूडिशियल कस्टडी भी खत्म हो रही है।

CBI ने ED की हिरासत से किया था गिरफ्तार

ईडी ने कविता (46) को हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित उनके आवास से 15 मार्च को गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने मंगलवार (9 अप्रैल, 2024) को ही कविता की ED हिरासत 23 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी थी। वहीं, सीबीआई (11 अप्रैल) को के. कविता को तिहाड़ जेल में गिरफ्तार किया था। रिमांड मिलने पर कविता को CBI हेडक्वार्टर ले जाया जाएगा, जहां उनसे पूछताछ होगी। इससे पहले CBI ने 6 अप्रैल को तिहाड़ में कविता से पूछताछ की थी।

साउथ ग्रुप‘ से जुड़ी होने का आरोप

दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक आरोपी अमित अरोड़ा ने पूछताछ के दौरान कविता का नाम लिया था। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि ‘साउथ ग्रुप’ नाम की एक शराब लॉबी थी, ईडी ने दावा किया था कि कविता शराब कारोबारियों की लॉबी ‘साउथ ग्रुप’ से जुड़ी हुई थी। उन्होंने अन्य कारोबारियों के जरिए दिल्ली में AAP सरकार के नेताओं को 100 करोड़ रुपए का भुगतान किया।

कविता के पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी किया था गिरफ्तार

इससे पहले के. कविता ने अपने पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरंटला और अरुण रामचंद्र पिल्लई का लिखित बयान जारी किया था, जो नायर और अन्य के साथ विभिन्न बैठकों में उनके साथ जाते थे। केंद्रीय जांच बोर्ड ने बुचिबाबू को फरवरी में गिरफ्तार किया था, जबकि पिल्लई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया था। ED को दिए बयान में बुचिबाबू ने माना था कि के. कविता की दिल्ली  के सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया के साथ राजनीतिक गठजोड़ था। बुचिबाबू ने यह भी माना था कि कविता मार्च 2021 में विजय नायर से मिली थीं।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में केजरीवाल की सरकार में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति लागू करने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई। नई नीति लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू में बढ़ेगा। नई नीति से रेवेन्यू में 1500-2000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई गई थी।

नई पॉलिसी में कहा गया था कि दिल्ली में शराब की कुल दुकानें पहले की तरह 850 ही रहेंगी। हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब बवाल ज्यादा बढ़ गया, तब 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मामले में सीबीआई को जांच ट्रांसफर दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए।

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