प्रीति जैन- चुप रहने को कई लोग निगेटिव लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, कुछ वक्त खुद के साथ रखकर अपने ऊपर विचार करना भी जरूरी है। पबमेड सेंट्रल में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो मौन रहना आपके मानसिक मनोबल को बढ़ाता है। दरअसल, जब आप 12 मिनट लगातार चुप बैठते हैं तो आपका दिमाग शांत हो जाता है और रिलैक्स मूड में चला जाता है। इसी दौरान शरीर रेस्टोरेशन मोड में काम करता है और ब्रेन डिटॉक्स में मदद मिलती है। नेशनल क्वाइट डे के मौके पर जानिए कुछ मिनट चुप रहने के मानसिक फायदे।
चुप रहने के दौरान ब्रीदिंग पर करें फोकस
चुप रहने के दौरान अपनी ब्रीदिंग पर फोकस करें और गहरी सांस लें और छोड़े इससे कार्टिसोल लेवल नियंत्रित होता है। इस समय समझ आता है कि जिन बातों पर गुस्सा करते हैं, उन पर असल में शांति से बात की जा सकती थी। अपनी कई गलतियों व कमियों का अहसास होता है और फिर मन निर्णय करता है कि खुद की गलतियों को समझकर आगे उन्हें न दोहराएं। यह प्रैक्टिस घर में सभी सदस्यों को अपने-अपने समय के मुताबिक करना चाहिए। बच्चों को भी समझाना चाहिए कि सब कुछ छोड़कर कुछ देर लॉन या बालकनी या रूम में शांति से बैठें, इस दौरान कुछ लिखना चाहें तो लिख सकते हैं। -डॉ. आरएन साहू, मनोचिकित्सक
मौन या चुप रहना हमेशा से भारतीय संस्कृति में अहम माना गया है। इस दौरान अपनी ऊर्जा को वापस संग्रहित करने का प्रयास मेडिटेशन के जरिए किया जाता है या कुदरत के करीब रहकर। इससे ओवरथिंकिंग और एंग्जायटी कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अपने अंदर की कमियों और ताकत को इस दौरान पहचान सकते हैं। हम किन बातों को लेकर अपने ऊपर लोड डाल रहे हैं और किन बातों से हम खुद को अलग रख सकते हैं ऐसे विचार किए जा सकते हैं। इसके लिए घर में एक अलग कोना बनाए या नेचर वाली जगहों पर जब वक्त मिले समय बिताएं। -सोनम छतवानी, साइकॉलोजिस्ट
मैं हमेशा अनावश्यक बोलने से बचती हूं। लोग कहते भी हैं कि यह बिल्कुल बात नहीं करती लेकिन मुझे चुप रहना पसंद है क्योंकि इससे दिमाग शांत रहता है और गुस्सा नहीं आता। कम बोलने पर किसी से विवाद की स्थिति भी नहीं रहती। मैंने महसूस किया है कि इससे आसपास वाले मुझे कुछ भी बोलते रहे न मुझे किसी बात की बहुत खुशी होती है न ही दुख। -नेहा शर्मा, फैकल्टी, बायोटेक्नोलॉजी