
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा की सभी 29 सीटों पर भाजपा का कमल खिलने के बाद निगम-मंडल और आयोग- प्राधिकरण में राजनीतिक नियुक्तियों के लिए दावेदारों की सक्रियता एक बार फिर तेज हो गई है। सरकार ने संवैधानिक दर्जा प्राप्त आयोगों के प्रमुख पदों पर नियुक्तियां शीघ्र करने की तैयारी कर ली है लेकिन निगम-मंडलों में दर्जा मंत्रियों की ताजपोशी के लिए फिलहाल ”दिल्ली अभी दूर है। ” मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने चुनाव के पहले फरवरी में एक झटके में 46 दर्जा मंत्रियों की नियुक्तियां निरस्त कर दी थीं। उस वक्त मिशन-29 को सफल बनाने सभी जिलों में टारगेट दिया गया था। यह भी संकेत दिए गए थे कि लोकसभा चुनाव के बाद इन पदों पर नए सिरे से सियासी नियुक्तियां की जाएंगी। राज्य सरकार ने फिलहाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य महिला आयोग, मप्र मानव अधिकार आयोग और सूचना आयोग जैसी संस्थाओं के रिक्त पदों पर भर्ती की तैयारी पूरी कर ली है। संभवत: अगले सप्ताह तक नियुक्ति संबंधी औपचारिक आदेश भी जारी हो जाएं। लेकिन निगम-मंडल की नियुक्तियां फिलहाल टलेंगी।
पाला बदलने वाले भी दावेदार
चुनाव के दौरान कांग्रेस के कई नेताओं ने भी इसी उम्मीद में निष्ठा बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया कि उन्हें निगम- मंडल की कमान मिलेगी। हाल ही में कांग्रेस के जो दिग्गज भाजपा में आए हैं उनमें पूर्व सांसद छतरसिंह दरबार, रामलखन सिंह और गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के अलावा पूर्व विधायकों में अर्जुन पलिया, दिनेश अहिरवार, शशांक भार्गव, नीलेश अवस्थी और शिवदयाल बागरी जैसे नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा अन्यकी अपेक्षाएं भी जुड़ी हुई हैं।
अब संगठन की बारी
भाजपा के मूल कार्यकर्ता जिन्हें सत्तासं गठन के नेताओं ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने मैदानी मोर्चा सौंपा था अब उनका दबाव भी बढ़ने लगा है। इनके अलावा दूसरे दलों से आए नेताओं की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को कमजोर करने भाजपा ने बड़ी संख्या में उसके नेताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल कर लिया था। ऐसे दिग्गज नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद, मौजूदा/पूर्व विधायक और महापौर भी शामिल थे।
संघ से जुड़े नेता भी
सरकार ने फरवरी में जिन 46 दर्जा मंत्रियों की नियुक्तियां निरस्त की थीं उनके अलावा 2018 के पहले के ऐसे नेता जिनका निगम-मंडलों में कार्यकाल अधूरा रह गया था वे भी जोर-शोर से अपनी दावेदारी करने लगे हैं। चार महीने पहले जिन दिग्गज नेताओं की नियुक्तियां निरस्त हुई थीं उनमें संघ से जुड़े रहे माखन सिंह चौहान, शैलेंद्र बरुआ, आशुतोष तिवारी व जितेंद्र लिटोरिया आदि के नाम हैं। इनके अलावा शैलेंद्र शर्मा, कृष्ण मोहन सोनी मुनन, विनोद गोटिया, अमिता चपरा, जितेंद्र जामदार, सत्येंद्र भूषण सिंह आदि भी हैं