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कोर्ट में बुजुर्गों के 27 लाख मामले हैं पेंडिंग, सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में

उम्र के आखिरी पड़ाव में न्याय की दरकार, गुजारा भत्ता, पेंशन और प्रॉपर्टी के हैं केस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्गों को जल्द न्याय दिलाने के लिए उच्च न्यायालयों और सभी निचली अदालतों को जल्दी सुनवाई करने के आदेश दिए थे। इसके बाद भी मुकदमों का त्वरित गति से निराकरण नहीं हो पा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के न्यायालयों में 27 लाख से अधिक ऐसे मामले लंबित हैं, जो बुजुर्गों ने दायर कर रखे हैं। ये सारे मामले गुजारा भत्ता, पेंशन, किराएदार से मकान खाली कराने व संपत्ति के विवाद इत्यादि से जुड़े हुए हैं। इनमें से करीब सात लाख ऐसे मामले हैं, जिनमें बच्चों द्वारा मां-बाप को प्रताड़ित किया जा रहा है।

मिडिल क्लास फैमिली में प्रॉपर्टी विवाद के ज्यादा केस

पिछले पांच वर्षों से ज्यादा का समय हो गया है, जब इस प्रकार के मामले दायर किए गए। लाखों मामले ऐसे भी दर्ज हैं, जो न्यायालयों में लंबे समय से लंबित हैं। इनमें अधिकांश मामले सिविल कोर्ट से संबंधित हैं, जिसमें बहू-बेटे प्रॉपर्टी हड़पना चाहते हैं। गरीब परिवारों के बजाय मिडिल क्लास फैमिली में इस तरह के केस अधिक देखे जा रहे हैं।

बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार पर 3 महीने की कैद का प्रावधान

यदि बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार होता है तो तीन महीने की कैद के साथ जुर्माना भी हो सकता है। साथ ही बुजुर्ग बालिग संतान को घर छोड़ने के लिए भी बाध्य कर सकते हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों के साथ अन्य स्थानों पर सीनियर सिटीजन के लिए अलग से लाईन का प्रावधान है। उन्हें ज्यादा वक्त तक इंतजार न करना पड़े, इसके लिए अलग से लाइन की व्यवस्था होती है। ऐसी ही व्यवस्था न्याय प्रणाली में भी करनी होगी, ताकि वे अपना शेष जीवन सुख और शांति से बसर कर सकें।

सुप्रीम कोर्ट को देने होंगे निर्देश

सुप्रीम कोर्ट को एक निश्चित समय सीमा में उम्र को ध्यान में रखते हुए फैसला करने के निर्देश देने होंगे। साथ ही सरकारों को भी न्यायालयों की संख्या बढ़ाने के अलावा अन्य मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देना होगा, ताकि उन्हें न्याय जल्द मिल सके।

टॉप-10 राज्य, जहां सबसे ज्यादा मामले हैं लंबित

राज्य               पेंडिंग केस
उत्तर प्रदेश       4,86,128
महाराष्ट्र            3,99,684
कर्नाटक           2,63,118
बिहार              2,48,570
पश्चिम बंगाल     1,51,169
तमिलनाडु        1,50,125
केरल               1,27,201
राजस्थान          1,08,174
मध्य प्रदेश         99,879
हरियाणा           93,068

कानून देता है बुजुर्गों को विशेष अधिकार

  • कानून में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा व सम्मान के लिए अलग से प्रावधान हैं। यदि उनके साथ बुरा बर्ताव होता है तो वे पुलिस को इसकी शिकायत कर सकते हैं।
  • सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के तहत कोई भी वरिष्ठ नागरिक जिसकी उम्र 60 या उससे ज्यादा है, जो अपनी आय या अपनी संपत्ति से होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ है, वे अपने बच्चों या रिश्तेदारों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

राहत देने सरकार-कोर्ट को आगे आना होगा

  • वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों की सुनवाई कर जल्द से जल्द उन्हें न्याय दिलाने के लिए जिला अदालतों और हाईकोर्ट में बुजुर्गों के मामले की जल्द सुनवाई करनी होगी।
  • विशेष रूप से गुजारा भत्ता, पेंशन, किराएदार से मकान खाली कराने, बच्चों द्वारा प्रताड़ित किए जाने या देखरेख नहीं किए जाने के मामले में निश्चित समय सीमा पर निपटाने की व्यवस्था नहीं की जाती है।
  • ऐसी स्थिति में भारत में बुजुर्गों का जीवन काफी कठिन और नारकीय होता जा रहा है।
  • बुजुर्गों का शरीर साथ नहीं देता और वे भागदौड़ नहीं कर सकते हैं। उनके पास आय का भी कोई अन्य जरिया नहीं होता।
  • दूसरों पर आश्रित होते हैं, ऐसी स्थिति में सरकार और न्यायालय यदि बुजुर्गों को संवेदनशीलता के आधार पर उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं करेंगी तो यह बुजुर्गों के लिए नाइंसाफी होगी।
  • अलग कोर्ट बनाने पर विचार हो।

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