भोपालमध्य प्रदेश

खजुराहो नृत्य समारोह 2023: तबले और मृदंग की थाप पर हुई प्रस्तुतियां, निवेदिता पंड्या व सौम्य बोस की दिखी जुगलबंदी

खजुराहो। नृत्य महोत्सव में तबले और मृदंग की थाप, घुंघरुओं की झंकार, और सुघड़ भाव भंगिमाओं से लबरेज नृत्य की प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। इसमें जननी मुरली के भरतनाट्यम, वैजयंती काशी और उनके साथियों के कुचिपुड़ी, निवेदिता पंड्या व सौम्य बोस की कथक ओडिसी जुगलबंदी, एवं गजेंद्र कुमार पंडा व उनके साथियों की ओडिसी नृत्य प्रस्तुतियां देखने को मिलीं।

शाम का आगाज बेंगलोर से आईं जननी मुरली के भरतनाट्यम से हुआ। उनकी प्रस्तुति पौराणिक आख्यान पर आधारित थी। उन्होंने भगवान स्कन्द, जिन्हें हम कार्तिकेय के नाम से भी जानते हैं और भगवान कृष्ण की समानता को नृत्य के जरिये पेश किया।

दूसरी प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्य की रही। वैजयंती काशी और उनके साथी ने अदीबो अल अदीबा यानि ” देखो उधर भी” नृत्य रचना से अपने नृत्य की शुरुआत की। वैजयंती ने अगली प्रस्तुति पूतना वध की दी और समापन तरंगम से किया। नृत्य संरचना खुद वैजयंती की थी जबकि संगीत मनोज वशिष्ठ, पी रमा और कार्तिक का था।

तीसरी प्रस्तुति में कथक और ओडिसी की जुगलबंदी देखने को मिली। इसमें निवेदिता पंडया और सौम्य बोस कलाकार थे। निवेदिता कथक करती हैं और सौम्य ओडिसी। दोनों ने अपने नृत्य की शुरुआत कस्तूरी तिलकम से की। ‘कस्तूरी तिलकम ललाट पटले वक्षस्थले कौस्तुभकम’ पर उन्होंने भगवान कृष्ण के श्रृंगारिक स्वरूप को नृत्यभावों से साकार करने का प्रयास किया। इस स्तुति में मधुवंती राग और भजनी ठेका था।

अगली प्रस्तुति में निवेदिता ने रायगढ़ शैली में कथक का शुद्ध स्वरूप पेश किया। इसमें उन्होंने तीनताल में  कुछ तोड़े टुकड़े, परनें, तिहाइयाँ, चक्करदार तिहाइयों की ओजपूर्ण प्रस्तुति दी। इसके बाद सौम्य ने ओडिसी में पल्लवी की प्रस्तूती दी। राग हंसध्वनि में एक ताल पर दी गई। अगली प्रस्तुति में दोनों ने आदि शंकराचार्य कृत अर्धनारीश्वर की शानदार प्रस्तुति दी। नृत्य का समापन तीन ताल में कलावती के एक तराने से किया।

(इनपुट : मिर्जा खावर बेग, सिटिजन रिपोर्टर)

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