भोपालमध्य प्रदेश

शिवराज सरकार ने सही ढंग से नहीं रखा पक्ष, इसलिए कांस्टेबल भर्ती में हाईकोर्ट ने 27 % आरक्षण पर रोक लगाईः कमलेश्वर पटेल

भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2020-21 की अंतिम भर्ती सूची पर रोक लगाई। साथ ही राज्य सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण देते हुए दोबारा सूची तैयार करने के आदेश जारी किए हैं।

कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मंत्री एवं विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था और उसी के हिसाब से 6000 कांस्टेबल की भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन शिवराज सरकार ने जानबूझकर न्यायालय में सही ढंग से पक्ष नहीं रखा, जिसके कारण कोर्ट द्वारा इस तरह का आदेश जारी किया गया है।

कोर्ट ने 4 सप्ताह में सरकार से पक्ष रखने को कहा

कमलेश्वर पटेल ने कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग का संवैधानिक अधिकार है। अगर शिवराज सरकार ने इस बारे में विधि सम्मत कार्यवाही की होती और न्यायालय के सामने सही तरीके से सभी साक्ष्य रखें होते तो न्यायालय यह फैसला नहीं देता कि चयनित अभ्यर्थियों की सूची 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की जगह 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ निकाली जाए। माननीय न्यायालय ने 4 सप्ताह में सरकार से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नियत पिछड़ा वर्ग विरोधी नहीं है तो वह अपने तर्कों से न्यायालय को समझाने में सक्षम होगी।

भाजपा हमेशा से अन्य पिछड़ा वर्ग के खिलाफ रही

कमलेश्वर पटेल ने कहा कि भाजपा का रुख हमेशा से अन्य पिछड़ा वर्ग के खिलाफ रहा है। जब देश में मंडल कमीशन लागू किया जा रहा था तब भारतीय जनता पार्टी ने ही आरक्षण विरोधी आंदोलन को हवा दी थी। मध्य प्रदेश में जब दिग्विजय सिंह सरकार ने 14 प्रतिशत आरक्षण लागू किया, तब भी भाजपा ने उसका विरोध किया था। जब कमलनाथ सरकार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू किया तो भारतीय जनता पार्टी पिछले दरवाजे से इसे खत्म कराने का षड्यंत्र रच रही है?

आंदोलन और सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी

कमलेश्वर पटेल ने कहा कि प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक समय तक भाजपा की सरकार रही, लेकिन उन्होंने कभी भी विधानसभा में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए कानून नहीं बनाया। अगर भारतीय जनता पार्टी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित नहीं कराती है तो ओबीसी वर्ग व्यापक पैमाने पर रोष व्यक्त कर सरकार के ओबीसी आरक्षण विरोधी रवैये के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी और अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरेगी।

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