
मध्य प्रदेश में धूमधाम से छठ पर्व मनाया जा रहा है। राजधानी में छठ महापर्व का मुख्य आयोजन रविवार को शीतलदास की बगिया, खटलापुरा, कमला पार्क, मां सरस्वती मंदिर भेल बरखेड़ा में किया गया। इसके साथ ही 50 से अधिक अलग-अलग स्थानों पर छठ पूजा की गई।
भोपाल के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। छठवर्तियों ने छठ पूजा के अवसर पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। अब सोमवार यानी कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) October 30, 2022
साज-सज्जा से जगमगा उठे घाट व कुंड
भोजपुरी एकता मंच द्वारा यह कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। रविवार को डूबते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर आराधना की गई। सूर्य भगवान को नौका विहार कराना, 2100 दीपों का दीपदान करना आकर्षण का केंद्र रहा। वहीं भोजपुरी लोक गायक अपनी प्रस्तुतियां दी।

घाटों पर रविवार को श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिली। शनिवार को भोजपुरी समाज के लोगों ने पूरे दिन व्रत रखकर संध्या को प्रसाद ग्रहण किया गया। इसे खरना या लोहण्डा कहा जाता है। इधर, शनिवार को भोजपुरी समाज के लोगों ने घाटों की निरीक्षण किया। वहीं सभी घाट व कुंड विद्युत साज-सज्जा से जगमगा उठे।
ऐसे होती है भगवान सूर्य की आराधना
षष्ठी के दिन सभी प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं। सायंकाल सूर्यास्त से पहले व्रत करने वाले नदी या तालाब में प्रवेश करते हैं और सूर्य को दूध तथा जल से अर्ध्य देते हैं। वह तब तक जल में रहते हैं। जब तक सूर्यास्त ना हो जाए। सूर्यास्त के बाद सभी लोग घर जाते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। इसके बाद दूसरे दिन सूर्योदय से पहले नदी पर जाकर जल में प्रवेश करते हैं और सूर्य के उदय होने की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे ही सूर्य उदित होता है, उन्हें अर्ध्य दिया जाता है। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद थोड़ा कच्चा दूध, जल और प्रसाद लेकर व्रत समापन किया जाता है।
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