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जम्मू-कश्मीर: शोपियां में 2 बाहरी मजदूरों की हत्या, टीन शेड में सो रहे थे…अचानक आतंकियों ने ग्रेनेड से कर दिया हमला;

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में एक बार फिर आतंकियों ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया। शोपियां के हरमेन में आतंकवादियों ने गैर-कश्मीरी मजदूरों पर ग्रेनेड अटैक किया। हमले में मरने वाले दोनों मजदूर टीन शेड में सो रहे थे और इलाके में मजदूरी का काम करते थे। दोनों उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बताए जा रहे हैं।

2 महीने पहले ही कश्मीर आए थे मजदूर

जानकारी के मुताबिक, शोपियां के हरमन इलाके में दोनों मजदूर टीन शेड में सो रहे थे। इसी दौरान आतंकियों ने उन पर ग्रेनेड से हमला कर दिया। हमले में दोनों मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मरने वाले मजदूरों की पहचान मनीष कुमार (40) पुत्र राम अवतार और राम सागर (50) पुत्र गज्जा के रूप में हुई है। दोनों उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के दन्नापुरवा गांव के रहने वाले थे। 2 महीने पहले मजदूरी करने कश्मीर गए थे।

लश्कर-ए-तैयबा का हाइब्रिड आतंकी गिरफ्तार

हमले के बाद पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के हाइब्रिड आतंकी इमरान बशीर गनी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है, साथ ही अन्य आतंकियों को पकड़ने के लिए छापेमारी भी की जा रही है।

कश्मीर जोन के एडीजीपी विजय कुमार के मुताबिक,लश्कर-ए-तैयबा के हाइब्रिड आतंकी इमरान बशीर गनी ने ही मजदूरों पर ग्रेनेड फेंका था। जिसे शोपियां पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच कर छापेमारी चल रही है।

शोपियां में कश्मीरी पंडित की हत्या।

आतंकियों ने की थी कश्मीरी पंडित की हत्या

इससे पहले 15 अक्टूबर को भी आतंकियों ने कश्मीरी पंडित को अपना निशाना बनाया था। शोपियां में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण भट्ट को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। जिसके बाद वे मौके से फरार हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरण कृष्ण भट्ट की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फाइटर ने ली है।

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इस साल बढ़ी टारगेट किलिंग की घटनाएं

जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं इस साल अप्रैल-मई से बढ़ गई हैं। बीते 12 मई को बड़गाम जिले में आतंकियों ने राजस्व विभाग के एक अधिकारी को गोली मारी।

16 अगस्त: शोपियां के सेब बागान में सुनील कुमार भट्ट की हत्या।

12 अगस्त: बांदीपोरा के सोदनारा सुंबल में गैर-कश्मीरी मजदूर पर फायरिंग की। इसमें उसकी मौत हो गई।

18 जून: पुलवामा में पुलिस के सब इंस्पेक्टर फारूक अहमद मीर की हत्या।

2 जून: बडगाम में आतंकियों ने देर शाम दो गैर-कश्मीरी मजदूरों को बनाया निशाना, एक की मौत, एक घायल।

2 जून: कुलगाम जिले में एक बैंक प्रबंधक की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

31 मई: कुलगाम के गोपालपोरा में हिंदू महिला शिक्षक रजनी बाला की हत्या।

25 मई: बडगाम में घर पर टीवी कलाकार अमरीन भट की हत्या। उसका 10 वर्षीय भतीजा हाथ में गोली लगने से घायल।

24 मई: श्रीनगर में पुलिसकर्मी सैफुल्ला कादरी की हत्या। उसकी 7 साल की बेटी घायल

17 मई: बारामुला में शराब दुकान पर ग्रेनेड हमला, राजोरी के सेल्सैन रंजीत सिंह की मौत, तीन अन्य घायल

13 मई: पुलवामा के गडूरा गांव में निहत्थे पुलिसकर्मी रियाज अहमद की हत्या

12 मई: बडगाम में कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट की चाडूरा तहसील कार्यालय में घुसकर हत्या कर दी।

7 मई: श्रीनगर में डॉ अली जान रोड पर आइवा ब्रिज के पास आतंकवादी हमले में पुलिस कांस्टेबल गुलाम हसन डार की मौत।

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घाटी में लगातार क्यों हो रही टारगेट किलिंग?

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि इसका मकसद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं को रोकना है।

टारगेटेड किलिंग में खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।

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