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चिटफंड कंपनी के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी : इंदौर क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में 2 आरोपी, कई इलाकों में फैला रखा था नेटवर्क

हेमंत नागले, इंदौर। इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा करोड़ों की धोखाधड़ी करने के मामले में दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी लंबे समय से करोड़ों की धोखाधड़ी कर फरार चल रहे थे। आरोपियों ने चिटफंड कंपनी के नाम पर पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित मध्य प्रदेश के कई इलाकों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। आरोपी महज 500 रुपए निवेश कर आते थे और 5 साल में उसे कई गुना करने का लालच देते थे। कई फरियादियों ने कंपनी में लाखों रुपए लगा रखे थे और कंपनी ने चकमा देकर सभी फरियादियों के साथ आर्थिक रूप से धोखाधड़ी की थी। क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि धोखाधड़ी करने वाला मुखिया और उसका एक अन्य साथी इंदौर में ही मौजूद है, जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

क्या है मामला ?

डीसीपी अपराध निमिष अग्रवाल के मुताबिक, साल 2017-18 में चिटफंड कंपनी के मुखिया संजय पुत्र माखनलल वर्मा निवासी देवास व उसके एक अन्य साथी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आरोपी द्वारा मनोरमा गंज में मालवा अंचल इंडिया और साकेत चौराहे पर यूएस के इंडिया के नाम से ऑफिस संचालित किया जा रहा था। आरोपियों द्वारा बचत योजना का लालच देकर पहले एक सर्टिफिकेट शुरू कर दिया जाता था और 5 वर्ष बाद इन्वेस्टमेंट कंपनी में लगाई गई रकम को डेढ़ गुना और दोगुना करने का लालच दिया जाता था।

आरोपियों पर घोषित था 30 हजार का इनाम

क्राइम ब्रांच की सूचना पर दो आरोपी पप्पू पटेल निवासी देवास व गोपाल पटेल निवासी टोंक खुर्द को गिरफ्तार किया है। दोनों ही आरोपी इस इन्वेस्टमेंट कंपनी में कार्यरत थे। आरोपियों ने हरियाणा के हिसार, राजस्थान के अलवर, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में कई निवेशकों से इन्होंने लाखों करोड़ों की धोखाधड़ी की है। काफी समय से पुलिस को इनकी तलाश थी और इन आरोपियों पर पुलिस ने 30 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया था।

ऐसे चलाते थे यह स्कीम

आरोपी चिटफंड कंपनी में 500 रुपए महीना से लगाकर लाखों रुपए अपनी कंपनी में इन्वर्स कराते थे और उन्हें डेढ़ गुना या 2 गुना रुपए का लालच देते थे। कंपनी के डायरेक्टर माखनलाल वर्मा और एजेंट सीमा पत्नी प्रभु लाल ने कई जगह अपने ऑफिस खोल रखे थे। जिस समय कंपनी का मुख्य डायरेक्टर माखनलाल वर्मा गिरफ्तार हुआ था, उसने बताया था कि महीने में 500 से लेकर 2000 लोगों के कंपनी में खाते खोले जाते थे। उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता था, जिसमें 5 साल बाद रुपए कई गुना का लालच दिया जाता था। 5 साल बीत जाने के बाद जब पैसे वापस होने का समय आया तो कंपनी ने कई लोगों को चेक थमा दिए थे। जो चेक बैंक में जाने पर बाउंस हो गए। जहां कंपनी के चक्कर काटने के बाद कई फरियादियों ने प्रदेश सहित सभी जगह पुलिस की शरण ली थी। आरोपी के खिलाफ छत्तीसगढ़, इंदौर (मध्य प्रदेश), राजस्थान, पंजाब सहित कई राज्यों में एफआईआर दर्ज है।

मुखिया माखन लाल वर्मा, सुमन वर्मा पति माखनलाल, संजय वर्मा, प्रवीण पटेल, गोपाल पटेल, दिलीप सेन, महेंद्र गोसाई, अमित रत्नाकर नंदन रत्नाकर व उमेश नरवरिया पर अब तक प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। सभी आरोपियों पर 420, 406 सहित अन्य धाराओं में मामले दर्ज हैं।

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