नई दिल्ली। देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी में इजाफा हुआ है। भारत की कुल आबादी में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। वहीं आजादी के बाद ये भी पहली बार रिकॉर्ड बना है जब पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की आबादी 1000 से अधिक हो गई है। बुधवार को जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़े यही बताते हैं। इससे पहले 2015-16 में हुए NFHS-4 में यह आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं का था।
23 राज्यों में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 1000 से ज्यादा
देश के 23 राज्य ऐसे हैं जहां प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 1,000 से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में प्रति हजार पुरुषों पर 1017, बिहार में 1090, झारखंड में 1050, छत्तीसगढ़ में 1015, राजस्थान में 1009, मध्य प्रदेश में 970, महाराष्ट्र में 966, पंजाब में 938, हरियाणा में 926, दिल्ली में 913 महिलाएं हैं।
गांव अब भी शहर से आगे
जन्म के समय का लिंगानुपात यानी जेंडर रेश्यो भी सुधरा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आंकड़ों में गांव और शहर में सेक्स अनुपात की तुलना की गई है। 2015-16 में यह प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का था। ताजा सर्वे में यह आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों पर पहुंच गया है। सर्वे के अनुसार सेक्स अनुपात शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर हुआ है। गांवों में जहां हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, वहीं शहरों में 985 महिलाएं हैं।
इससे पहले NFHS-4(2019-2020) में गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।
आजादी के बाद से बिगड़ रहा था सेक्स रेशियो
1901 में सेक्स रेशियो प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाओं का था। लेकिन आजादी के बाद ये संख्या कम होती गई। 1951 में ये आंकड़ा घटकर एक हजार पुरुषों पर 946 महिलाएं थीं। 1971 में ये और कम होकर 930 पर आ गया। 2011 की जनगणना के मुताबिक, ये आंकड़ा थोड़ा सुधरा और प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 940 पर पहुंच गई।
देश में पहली बार 2.1 से नीचे आई प्रजनन दर
पहली बार देश में प्रजनन दर 2 पर आ गई है। 2015-16 में यह 2.2 थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के दूसरे चरण के अनुसार, देश की कुल प्रजनन दर (TFR) या एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में बच्चों को जन्म देने की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2 हो गई है। वहीं कन्ट्रासेप्टिव प्रिवलेंस रेट (Contraceptive Prevalence Rate, CPR) में भी वृद्धि हुई हैं और यह 54 फीसदी से बढ़कर 67 फीसदी तक हो गई है।
स्कूली शिक्षा दर
देश में भले ही आबादी में महिलाओं का अनुपात बढ़ गया हो, लेकिन शिक्षा के नजरिए से उनकी स्थिति में अभी भी काफी सुधार होना बाकी है। आज भी देश में 59% महिलाएं 10वीं से आगे नहीं पढ़ पाईं हैं। 41% महिलाएं ही ऐसी हैं जिन्हें 10 साल से ज्यादा स्कूली शिक्षा प्राप्त हुई है, यानी वे 10वीं कक्षा से आगे पढ़ सकीं। वहीं ग्रामीण इलाकों में तो सिर्फ 33.7% महिलाएं ही 10वीं के आगे पढ़ सकीं।