
वॉशिंगटन | वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने हाल ही में ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2025 जारी की है, जिसमें 148 देशों की लिस्ट में भारत दक्षिण एशिया के सबसे पीछे रहने वाले देशों में से एक बन गया है। भारत ने इस साल 64.1% स्कोर हासिल किया है, जो पिछले साल के मुकाबले कम है। 2024 में भारत 129वें स्थान पर था, इस बार 131वें पर आ गया। वहीं दुनियाभर में जेंडर गैप थोड़ा घटा है और अब 68.8% पर पहुंचा है। आइसलैंड लगातार 16 साल से सबसे ऊपर है। उसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड हैं। बांग्लादेश 75 पायदान उछलकर 24वें नंबर पर पहुंच गया है। बाकी पड़ोसी देशों में नेपाल 125, श्रीलंका 130, भूटान 119, मालदीव 138 और पाकिस्तान आखिरी यानी 148वें स्थान पर है।
कामकाज और कमाई में आया सुधार
डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार कामकाज और कमाई को लेकर भारत में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इसमें करीब 0.9% की बढ़ोतरी हुई है। अब भारत का स्कोर 40.7% हो गया है। औरतों और पुरुषों की अनुमानित कमाई में थोड़ा फर्क घटा है, अब ये अंतर 28.6% से कम होकर 29.9% हो गया है। हालांकि, महिलाओं की कामकाजी भागीदारी अब भी 45.9% पर अटकी हुई है, लेकिन अच्छी बात ये है कि ये अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
महिलाएं पढ़ाई पर कर रहीं फोकस, हेल्थ पर है ध्यान
रिपोर्ट के अनुसार पढ़ाई के मामले में भारत ने 97.1 प्रतिशत स्कोर किया है। यानी महिलाएं अब ज्यादा पढ़-लिख रही हैं, स्कूल और कॉलेज में दाखिला बढ़ा है। सेहत की बात करें तो लिंगानुपात और हेल्दी लाइफ की उम्मीद थोड़ी बेहतर हुई है। मतलब महिलाओं और पुरुषों की हेल्थ क्वालिटी में फर्क थोड़ा घटा है।
राजनीति में घटती जा रही महिलाओं की भागीदारी
सबसे बड़ी चिंता की बात राजनीति है। यहां महिलाओं की मौजूदगी और भी कम हो गई है। संसद में महिलाएं अब सिर्फ 13.8 प्रतिशत हैं, जबकि पहले 14.7 प्रतिशत थीं। महिला मंत्री सिर्फ 5.6 प्रतिशत रह गई हैं, जो पहले 6.5 प्रतिशत थीं। 2019 में महिला मंत्री 30 प्रतिशत थीं, अब वहां से गिरते-गिरते काफी नीचे आ चुके हैं।