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14 जुलाई को धरती पर लौटेंगे शुभांशु शुक्ला : Axiom-4 मिशन में देखे 230 सूर्योदय, चार दिन आगे बढ़ा मिशन

टेक्सास। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अब 14 जुलाई को धरती पर लौट सकते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने गुरुवार को यह जानकारी दी। शुभांशु Axiom-4 मिशन का हिस्सा हैं, जिसमें उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं।

इस मिशन की शुरुआत 25 जून को हुई थी, जब स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने ‘ड्रैगन’ यान के जरिए उन्हें फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना किया। अंतरिक्ष यान ने 26 जून को ISS (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) से सफलतापूर्वक डॉक किया। मूल रूप से यह मिशन 14 दिनों का था, लेकिन तकनीकी और मौसमी कारणों से उनकी वापसी में 3-4 दिन की देरी हुई।

230 सूर्योदय देखे, 1 करोड़ KM की यात्रा की

Axiom स्पेस की ओर से जारी बयान में बताया गया कि 14 दिन के इस मिशन में शुभांशु और उनकी टीम ने करीब 230 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखे और लगभग 1 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी की। यह यात्रा पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर स्थित ISS में माइक्रोग्रैविटी वातावरण में पूरी हुई।

शुभांशु ने किए 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग

Axiom-4 मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने जैव चिकित्सा, तंत्रिका विज्ञान, कृषि और स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े 60 से ज्यादा प्रयोग किए। शुभांशु ने भारतीय संस्थानों के 7 प्रयोगों के साथ-साथ NASA के साथ 5 संयुक्त प्रयोग भी किए। इन प्रयोगों से मिले आंकड़े भारत के आगामी ‘गगनयान मिशन’ के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे। इनमें कुछ प्रयोग कैंसर, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित भी हैं।

कपोला मॉड्यूल से देखी धरती, PM से की बात

6 जुलाई को सामने आई तस्वीरों में शुभांशु ISS के ‘कपोला मॉड्यूल’ से पृथ्वी को निहारते दिखाई दिए। कपोला मॉड्यूल वह गुंबदनुमा संरचना है जिसमें 7 खिड़कियां होती हैं, जिससे अंतरिक्ष यात्री धरती का नज़ारा करते हैं। 28 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु से वीडियो कॉल पर बात की थी। उन्होंने पूछा, “अंतरिक्ष से धरती कैसी दिखती है?” शुभांशु ने जवाब दिया- “सर, अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती, सिर्फ एकजुट धरती दिखती है। भारत बहुत भव्य दिखाई देता है।”

प्रधानमंत्री ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में पूछा, “क्या गाजर का हलवा ले गए थे?” इस पर शुभांशु ने हंसते हुए कहा, “हां, सबने मिलकर खाया।”

41 साल बाद अंतरिक्ष में भारतीय

शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय एस्ट्रोनॉट हैं। उनसे पहले राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के स्पेस मिशन में हिस्सा लिया था। ISRO और NASA के बीच हुए समझौते के तहत भारत ने Axiom-4 मिशन के लिए शुभांशु की सीट पर 548 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यह भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की तैयारी का हिस्सा है, जिसे 2027 तक लॉन्च करने का लक्ष्य है।

Axiom-4 मिशन की टीम में कौन-कौन शामिल

  • शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
  • पैगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन कमांडर
  • स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीवस्की (पोलैंड) – मिशन विशेषज्ञ
  • टिबोर कापू (हंगरी) – मिशन विशेषज्ञ

वापसी की तारीख अभी अस्थायी

NASA और ESA (यूरोपियन स्पेस एजेंसी) के अनुसार, 14 जुलाई की वापसी अनुकूल परिस्थितियों और अनडॉकिंग शेड्यूल पर निर्भर करेगी। यदि मौसम या तकनीकी कारण बने रहते हैं तो वापसी में और देरी भी संभव है।

ISS क्या है?

ISS यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी की निचली कक्षा में 400 KM ऊपर स्थित एक वैज्ञानिक प्रयोगशाला है, जो 28,000 KM प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। यह हर 90 मिनट में एक चक्कर लगाता है और इसमें 5 देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों – NASA, Roscosmos, JAXA, ESA और CSA का योगदान है। इसका पहला मॉड्यूल 1998 में लॉन्च किया गया था।

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