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नगरीय निकायों के अध्यक्षों को हटाने संबंधी विधेयक को भी मिलेगी मंजूरी

विधानसभा में जनता से जुड़े 3 महत्वपूर्ण विधेयक लाने की तैयारी

भोपाल। 16 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आम जनता के हितों से जुड़े तीन विधेयक पेश होने की संभावना है। ये विधेयक बजट सत्र में पेश होने थे, लेकिन हंगामा और बाद में सदन की कार्रवाई स्थगित होने के कारण पेश नहीं हो सके थे। नगर पालिका अध्यक्षों को हटाने को लेकर भी विधेयक लागू करने के लिए तीन माह पहले सरकार अध्यादेश लेकर आई थी, जिसे अब विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।

अध्यक्ष को हटाने के अधिकार

मध्य प्रदेश नगर पालिका द्वितीय संशोधन अध्यादेश 2024 को प्रभावी किया गया है। इस अध्यादेश के अधिसूचित होने के बाद अब मप्र में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष के विरुद्ध तीन वर्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इसके लिए तीन चौथाई पार्षदों के हस्ताक्षर से ही प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकेगा। इस अध्यादेश के पहले तक नगर पालिका या नगर परिषद के अध्यक्ष के प्रति यदि दो तिहाई पार्षद अविश्वास व्यक्त करते थे तो उन्हें हटाने के लिए दो वर्ष की कालावधि पूर्ण होने पर अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। दो वर्ष की कार्यावधि पूर्ण हो रही थी और ऐसी आशंका थी कि कुछ निकायों के अध्यक्षों को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

फायर सेफ्टी एक्ट

प्रदेश में आगजनी की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने के लिए सरकार अनुभवी अमले का एक पूरा सेटअप (डायरेक्ट्रेट) तैयार करेगी। इसके साथ ही अत्याधुनिक मशीनें और तकनीकी व्यवस्था की जाएगी। प्रदेश मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक पूरा सेटअप तैयार होगा। प्रदेश स्तर पर एक कॉल सेंटर होगा। वहीं आगजनी की सूचना के तुरंत (एक निर्धारित) समय के अंदर फायर वाहन मौके पर नहीं पहुंचने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं फायर अमला नए और पुराने भवनों में फायर सेफ्टी के सभी प्रावधानों को लागू कराने का काम करेगा।

किराएदारी अधिनियम

सरकार मकान मालिक और किराएदारों को राहत देने के लिए किराएदारी अधिनियम ला रही है। दोनों के बीच के विवाद को सुलझाने और सुनवाई के लिए एडीएम स्तर के अधिकारी को अधिकार दिए जाएंगे। वर्तमान में यह विवाद सुलझाने और सुनवाई के लिए न्यायालय की शरण लेना पड़ता है, जिससे मामला कई वर्षों तक चलता है। इसमें मकान, दुकान, ऑफिस स्पेस और भूखंड किराए पर देने के लिए रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा। इसके लिए शुल्क भी देना होगा। मकान खाली कराने से टूट, फूट और सुविधाओं से जुड़े मामलों का निराकरण किया जाएगा। सरकार के पास अक्सर शिकायतें आती हैं कि किराएदार प्रॉपर्टी में कब्जा कर लेते हैं।

अवैध कॉलोनी संशोधन

अवैध कॉलोनी बसाने को लेकर एक संशोधन विधेयक आना है। इसमें अवैध कॉलोनी बसने पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। हर निकाय में एक अधिकारी को इसका प्रभार दिया जाएगा, जो शहर में अतिक्रमण अमले की तरह काम करेगा। वहीं अवैध कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजरों और बिल्डरों को सजा और जुर्माने की राशि भी तय होगी। इन कॉलोनियों में बिजली और पानी के कनेक्शन देने पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। ये भी प्रावधान रहेगा कि टाउन एंड कंट्री प्लॉनिंग विभाग प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को आगे कोई अनुमति नहीं देगा।

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