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चुनावी साल में दल-बदल, सिंधिया की वजह से मुश्किल हुई बीजेपी की राह, दीपक जोशी, भंवरसिंह शेखावत जैसे आधा दर्जन नेता पार्टी छोड़ने की तैयारी में, भाजपा भी कर सकती है कांग्रेस में तोड़-फोड़, आप और बसपा की भी तैयारी

 

भोपाल। साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावो से पहले एमपी में दलबदल की जमकर चर्चाएं जारी हैं। बीजेपी अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए रुठे हुए पुराने कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटी है, वहीं कांग्रेसियों को भी अपने पाले में लाने की मशक्कत कर रही है। इधर, कांग्रेस भी  “तू डाल-डाल में पात-पात” की तर्ज पर बीजेपी में सेंध लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। हालांकि दोनों ही दल एक जैसे हालात से जूझ रहे हैं, लिहाजा डैमेज कंट्रोल की कोशिशें भी जारी हैं। अगर हालिया दौर को देखा जाए तो फिलहाल कांग्रेस से ज्यादा मुश्किल में बीजेपी दिखाई दे रही है।

सिंधिया की वजह से उठ रहे बगावत के सुर

बीजेपी को चुनावी साल के दौरान सबसे बड़ी चुनौती घर के भीतर से ही मिल रही है। इसकी अहम वजह है ज्योतिरादित्य सिंधिया। तीन साल पहले जब सिंधिया ने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थामा, तो उनके साथ उनके समर्थक विधायक और मंत्री भी इस्तीफा देकर नए दल में आ गए। उस समय के हालात को देखते हुए बीजेपी ने इन सभी विधायकों को उसी सीट से टिकट दे दी। जो जीते वो विधायक और मंत्री बन गए और जो हारे उन्हें निगम-मंडल में जगह मिल गई। इससे बीजेपी का एक बड़ा तबका खफा हो गया। अब इन सभी सीटों पर बीजेपी असमंजस में हैं, क्योंकि बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। जीते हुए सिंधिया समर्थकों का टिकट काट पाना संगठन के लिए बेहद मुश्किल है, जबकि सालों तक पार्टी के साथ वफादारी से जुड़ा रहने वाले नेता अब सिंधिया समर्थकों की पैराशूट लैंडिंग के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे हुए हैं।

ये बड़े नेता जा सकते हैं कांग्रेस के पाले में

बीजेपी से सालों से जुड़े दीपक जोशी, रमेश शर्मा गुट्टू भैया, अनूप मिश्रा, भंवरसिंह शेखावत, सत्यनारायण सत्तन, जैसे नेता पार्टी फोरम के साथ साथ सार्वजनिक तौर पर भी नाराजगी जता चुके हैं। इसके साथ ही सपा से कांग्रेस और फिर बीजेपी में आए मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और शहडोल के ब्यौहारी से बीजेपी विधायक शरद कोल 2020 में विधानसभा में मत विभाजन के दौरान पार्टी के खिलाफ वोट डाल चुके हैं। ये दोनों पहले ही बीजेपी संगठन को कठघरे में भी खड़ा कर चुके हैं। पृथक विंध्य की मांग को लेकर त्रिपाठी बीजेपी से जल्द किनारा कर सकते हैं। फिलहाल बीजेपी मान-मनौव्वल कर इन नेताओं को चुनाव तक रोकने की कोशिश कर रही है।

पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा दावा कर रहे हैं कि नाराज नेताओं को पार्टी छोड़ने से पहले मना लिया जाएगा। हालांकि भाजपा कांग्रेस के कुछ विधायकों के संपर्क में है और इन्हें चुनाव से पहले पार्टी में शामिल किया जा सकता है। इनमें से एक विधायक सागर जिले के हैं, उनका मन बीजेपी में शामिल होने से ठीक पहले बदल गया था। छत्तीसगढ़ में नंदकुमार साय के बीजेपी छोड़कर आने के बाद से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ खासे उत्साहित हैं। उनके मुताबिक ये केवल ट्रेलर था और अब एमपी में पूरी पिक्चर दिखाई देगी। हालांकि कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने के सवाल को वे बीजेपी की अफवाह फैलाने की साजिश करार देते हैं।

आप और बसपा भी कतार में

इतिहास को देखें तो प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य चुनावी मुकाबला होता रहा है। हालांकि कुछ नेता बीजेपी और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाए रखना चाहते हैं, यही वजह है कि इनके लिए आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने विकल्प खोल रखे हैं। आप की प्रदेशाध्यक्ष रानी अग्रवाल का कहना है कि यदि कोई शुचिता और ईमानदार राजनीति के लिए अन्य दल से आप में आना चाहता है तो उसका स्वागत है।

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