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छात्रों के सुसाइड रोकने आईआईटी कर रहे उपाय, पाठ्यक्रम कम करने और मेंटल हेल्थ सेंटर बनाने पर जोर

नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)-मुंबई के एक छात्र की आत्महत्या के बाद तमाम आईआईटी ने ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कदम उठाए हैं। इनमें कम ग्रेड और बैकलॉग वाले छात्रों की ‘काउंसलिंग’ और ‘मेंटरशिप’ के साथ ही सिलेबस के बोझ में कटौती और मेंटल हेल्थ सेंटर्स की स्थापना जैसे उपाय शामिल हैं।

जातीय भेदभाव के आरोपों के बीच आईआईटी-मुंबई के एक छात्र की खुदकुशी ने एक बार फिर इन प्रतिष्ठित संस्थानों के कठिन सिलेबस और कॉम्पिटिशन को उजागर किया है। आईआईटी-मुंबई के डायरेक्टर शुभाशीष चौधरी ने कहा कि संस्थान अपने ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम में बदलाव करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि इसे छात्रों के लिए और अधिक प्रासंगिक और प्रेरणादायी बनाया जा सके। इससे उनका तनाव कुछ कम होगा।

ऐसा परिसर बना रहे, कि छात्र घर जैसा महसूस करें

चौधरी ने कहा- हम ऐसा परिसर बनाने पर काम कर रहे हैं, जहां सभी छात्र घर जैसा महसूस कर सकें। बताते चलें कि IIT मुंबई में 18 वर्षीय छात्र दर्शन सोलंकी के खुदकुशी करने के मामले पर चर्चा और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए बनाई गई संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को एक बैठक बुलाई है। आईआईटी-गुवाहाटी में पिछले कई वर्षों के दौरान परिसर में छात्रों के स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिए ‘सेंटर फॉर होलिस्टिक वेलबिइंग’ की ओर से कुछ कदम उठाए गए हैं।

मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश

आईआईटी गुवाहाटी के एसोसिएट डीन (छात्र मामले) बिथैया ग्रेस जगन्नाथन ने बताया कि कम सीपीआई और बैकलॉग वाले छात्रों का ब्योरा शैक्षणिक अनुभाग द्वारा डीन और कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष के साथ शेयर किया जाता है। उन्होंने कहा कि संकाय सलाहकारों और परामर्शदाताओं को इसके अनुरूप हर विद्यार्थी से संपर्क करने के लिए कहा जाता है, ताकि उनकी मानसिक स्थिति और उनके कम प्रदर्शन के कारण को समझा जा सके।

आईआईटी दिल्ली ने बदला था पाठ्यक्रम

आईआईटी छात्रों द्वारा खुदकुशी के मामलों को देखते हुए आईआईटी-दिल्ली ने पढ़ाई के दबाव का सामना करने में छात्रों की मदद के लिए पहले ही अपने पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया था। आईआईटी-दिल्ली अपने पाठ्यक्रम की फिर से समीक्षा करने की प्रक्रिया में है। शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सभी आईआईटी में वर्ष 2014 से 2021 के दौरान कुल 34 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है, जिनमें से 18 विद्यार्थी अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के थे।

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