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शहर में पहली AI बेस्ड स्टोरी टेलिंग में सुनाया सिंधी कम्युनिटी का इतिहास

यूथ इनिशिएटिव : युवा स्टोरीटेलर मोहित शेवाणी ने नए कॉन्सेप्ट पर पेश किया हिस्टोरिकल शो

मैं सिंधी हूं और बचपन से देखता सुनता आ रहा हूं कि लोग हमें पाकिस्तानी समझते हैं, जबकि हम भारतीय ही हैं क्योंकि सिंध प्रांत भारत में था और विभाजन के कारण पाकिस्तान का हिस्सा बना। हम व्यवसायी बने जबकि हम वॉरियर थे। राजा दाहिर सिंधी थे जिन्होंने 14 बार अरबों को भारत में प्रवेश करने से रोका। हम सनातनी है, यह बात दुनिया खासतौर पर नई पीढ़ी को बताने के लिए मैंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी के साथ सिंधी संस्कृति, इतिहास और आजादी की जंग में सिंधी हीरोज के योगदान के बारे में बताने का बीड़ा उठाया। यह कहना था, युवा स्टोरीटेलर मोहित शेवाणी का, जिन्होंने एआई बेस्ड शो डिजाइन किया, जिसमें वे स्टोरीटेलिंग करते हैं और 16 मेंबर्स का बैंड म्यूजिक के साथ कहानी को आगे बढ़ाता है। इसका पहला शो रविवार को रवींद्र भवन में हुआ, जिसमें 1500 सीट्स फुल रहीं।

अटलजी ने कहा था, हिंदी मेरी मां, सिंधी मेरी मौसी

हॉल में बज उठीं तालियां जब मोहित ने कहा, विपक्ष में रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा था, यदि हिंदी मेरी मां है तो सिंधी मेरी मौसी…। झूलेलाल के नारे भी हॉल में लगे, जब यह सुनाया गया कि चैतीचांद उत्सव की शुरुआत राम पंजवानी ने मुंबई में इसलिए की थी ताकि लोग अपनी संस्कृति व त्योहारों से भी जुड़े और फिर चैतीचांद पूरे भारत में मनाया जाने लगा। सिंधी, सिंध प्रांत में अपने उपजाऊ भूमि पर खेती-किसानी करते थे और बहुत अमीर थे लेकिन विभाजन के बाद बैरकों में रहते हुए उन्होंने अपने हुनर से वस्तु विनिमय करना शुरू किया और इस तरह से व्यवसाय की ओर मुड़े। यह मजबूरी थी लेकिन अब वे स्थापित व्यवसायी हैं।

81 वर्षीय लेखक खीमन मूलानी ने लिखी स्क्रिप्ट

भोपाल में 81 साल के लेखक खीमन मुलानी संत हिरदाराम नगर में रहते हैं, जिनसे मैंने संपर्क किया और उन्हें राजी किया कि हम युवा अपनी सिंधी संस्कृति को नए ढंग से युवाओं के सामने पेश करेंगे। 10 मीटिंग्स के बाद वो स्क्रिप्ट युवाओं को ध्यान में रखते हुए लिखने के लिए तैयार हुए, जिसकी वजह से यह शो संभव हो सका। हम सिंधी राजा राम के पुत्र लव के वंशज यानी लववंशी हैं। सिंध में रहने वाले सिंधियों ने सिकंदर को सिंध सीमांत प्रांत से भारत की सीमा में घुसने से रोका था। यह पूरी प्रस्तुति सिंधी भाषा में दी गई और गायकों में शुभम नथानी, नीलेश गंगवानी, निशि धामेजा, प्रियांशी कारवान शामिल हुईं। – मोहित शेवाणी, स्टोरी टेलर

सिंध माता के इस सपूत रुपलो कोहली को 22 अगस्त 1859 को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। शहीद हेमू कलानी के बलिदान और सिंधी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने वाले पद्मश्री राम पंजवानी जैसे कई सिंधियों ने इस देश की तरक्की में योगदान दिया है। मेरे लिए यह आयोजन बहुत खास रहा। -हर्षा ममतानी, दर्शक

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