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नए टूरिस्ट स्पॉट के रूप में चार करोड़ की लागत से डेवलप हो रहा गोलघर

संग्रहालय, शोध केंद्र के रूप में विकसित कर रहा पुरातत्व विभाग

प्राकृतिक खूबसूरती में रचा बसा शहर भोपाल अपने भीतर कई ऐतिहासिक परतों को भी समेटे हुए है, जिसके कण-कण में इतिहास की कहानियां दर्ज हैं। शहर में राजाभोज के स्वर्णिम काल से लेकर नवाबी शासन की कई धरोहरें हैं, जिनके जीर्णोंद्धार का एक क्रम सा चल पड़ा है। इसी कड़ी में बरसों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा शाहजहांनाबाद स्थित गोलघर अब एक अनूठे संग्रहालय व शोध केंद्र के रूप में आकार ले रहा है। 1869 में बेगम शाहजहां द्वारा निर्मित गोलघर का मप्र पुरातत्व विभाग चार करोड़ की लागत से नवीनीकरण कर रहा है। इसका निर्माण कार्य एमपी टूरिज्म बोर्ड द्वारा कराया जा रहा है और वर्ष के अंत तक गोलघर भोपाल के एक नए टूरिस्ट स्पॉट और शोध केंद्र के रूप में चमकता हुआ नजर आएगा। गोलघर परिसर में एक अन्य भवन भी है, जिसमें 25 कमरे और हॉल हैं। इसमें संग्रहालय व शोध केंद्र आकार लेगा। गोलघर में मप्र पुरातत्व विभाग द्वारा 1958 से अभी तक के पुरातत्वीय उत्खननों को संजोया जाएगा।

शाहजहां बेगम ने कराया था निर्माण

भोपाल रियासत में 4 नवाब बेगमों की करीब डेढ़ सौ साल तक हुकूमत रही है, जिसमें तीसरी बेगम नवाब शाहजहां का शासनकाल सबसे बेहतरीन माना जाता है। पुराने भोपाल के शाहजहांनाबाद इलाके में स्थित इस इमारत का निर्माण भी उन्होंने ही 1868से 1901 के बीच करवाया था। तब यह भवन ‘गुलशन- ए-आलम’ के नाम से जाना जाता था, जो भोपाल का सेक्रेटेरिएट हुआ करता था और पूरा शहर यहीं से संचालित होता था। इसे अंग्रेज इंजीनियर कूक और मुंशी हुसैन खान ने तैयार किया था। गोलघर ज्योमैट्री डिजाइन का एक नायाब नमूना है। इसमें एक ही कमरा है, जिसके बीचों-बीच में खड़े होने पर इसके चारों तरफ लगे पत्थर 360 डिग्री पर दिखाई देते हैं।

सिमेट्रिकल डिजाइन में बने भवन के 32 दरवाजे

विशेषज्ञ बताते हैं कि इसे वेनैसा आर्किटेक्चर से प्रभावित होकर बनाया गया था। गोलघर से लगा ही एक भवन भी है, जिसमें अंदर जाने के लिए पूरे 32 दरवाजे हैं। सिमेट्रिकल डिजाइन में बने यह लकड़ी के दरवाजे बिल्कुल एक समान दिखाई देते हैं। अंदर की तरफ गुंबद में बेहतरीन कारीगरी की गई है। इसमें रंगों का संयोजन और फ्लोरल पैटर्न जबरदस्त तरीके से किया जा रहा है। भवन के तैयार होने के बाद यहां नवाब का रॉयल कलेक्शन रखा जाएगा।

पुरातत्व अवशेषों को किया जाएगा प्रदर्शित

गोलघर भोपाल की ऐतिहासिक इमारत है, जो पिछले लंबे समय से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी। हमारी योजना है कि पिछले करीब 65 वर्षों में विभिन्न साइट्स से प्राप्त पुरातत्व अवशेषों को यहां प्रदर्शित करेंगे। साथ ही इसे एक शोध संस्थान के रूप में विकसित करेंगे, जो एक अनूठा प्रयोग होगा। -इंद्रपाल यादव, प्रभारी, गोलघर, राज्य संग्रहालय भोपाल

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