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Monkeypox: मंकीपॉक्स ने बढ़ाई टेंशन… अमेरिका में पहली बार बच्चे भी आए चपेट में, अब तक 80 देशों में 16,886 मरीज मिले

देश-विदेश में मंकीपॉक्स तेजी से फैलता नजर आ रहा है। अमेरिका में पहली बार बच्चों में मंकीपॉक्स के संक्रमण पाए गए हैं। अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कैलिफोर्निया में एक बच्चे व एक शिशु में मंकीपॉक्स की पहचान की गई है। दोनों अमेरिका के निवासी नहीं हैं। इससे पहले सिर्फ वयस्कों में ही मंकीपॉक्स का लक्षण मिला था।

एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैल रहा है मंकीपॉक्स

CDC ने कहा कि दो मामले मिले हैं, जो कि एक-दूसरे से कनेक्टेडट नहीं है। दोनों बच्चे फिलहाल ठीक है, उनका इलाज किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, CDC ने कहा कि मंकीपॉक्स एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैल रहा है। सीडीसी के डॉ. जेनिफर मैकक्विस्टन ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मंकीपॉक्स अब बच्चों को भी शिकार बना रहा है। अभी तक कहा जा रहा था कि मंकीपॉक्स के प्रसार में यौन संबंधों बड़ी वजह थी, लेकिन अब यह तेजी से बच्चों में भी फैलने लगा है।

80 देशों में 16 हजार से ज्यादा केस

अमेरिका में अभी तक 2,891 मंकीपॉक्स के मरीज सामने आए हैं, इसमें से 99% पुरुषों में मंकीपॉक्स संक्रमण मिला है। जबकि कुछ महिलाएं और कुछ ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं। वहीं मंकीपॉक्स को ट्रैक करने वाले Monkeypoxmeter.com के डेटा के मुताबिक, अब तक 80 देशों में 16,886 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से यूरोप में सबसे ज्यादा 11,985 लोग मंकीपॉक्स की चपेट में आए हैं। वहीं, बीमारी से ग्रस्त टॉप 10 देशों में ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा, नीदरलैंड्स, इटली और बेल्जियम शामिल हैं।

भारत में अब तक तीन मामले

  • केरल में आए तीनों मामलों का कनेक्शन विदेशों से जुड़ा हुआ है।
  • केरल में 14 जुलाई को मिला पहला मरीज दूसरे देश (यूएई) से भारत आया था। तेज बुखार और शरीर में तेज दर्द की शिकायत थी। इसके साथ ही शरीर पर छाले थे।
  • केरल में 18 जुलाई को मिला दूसरा मरीज भी दूसरे देश (दुबई) से भारत आया था। मरीज दो महीने पहले ही भारत लौट गया था, लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षण उसमें बाद में देखने को मिले।
  • केरल में 22 जुलाई को मिला तीसरा मरीज 6 जुलाई को यूएई से लौटा था। 13 जुलाई को उसमें लक्षण दिखाई देने पर जांच की गई थी।

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डरने की जरूरत नहीं…

वैसे जानकार मानते हैं कि मंकीपॉक्स से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। ये कोरोना वायरस की तरह नहीं फैलता है। इसके मुख्य कारण ये हैं कि जहां कोविड सांस से जुड़ा वायरस है और छींकने या खांसने से निकले कणों और बूंदों, दोनों के माध्यम से फैलता है, वहीं मंकीपॉक्स वायरस के प्रसार के लिए प्रभावित व्यक्ति के साथ, सीधे त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है।

मंकीपॉक्स के लक्षण की बात करें तो संक्रमित मरीज को बुखार, तेज सिर दर्द, सूजन और थकान की शिकायत रहती है।

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क्या है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ और गंभीर वायरल बीमारी है। यह बीमारी एक ऐसे वायरस की वजह से होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है।

अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी। तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था। इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है।

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कैसे फैलती है बीमारी?

    • मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
    • इंसान से इंसान में वायरस के फैलने के मामले अब तक बेहद कम सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है।
    • यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। मरीज 7 से 21 दिन तक मंकी पॉक्स से जूझ सकता है।
    • अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के सबूत मिले हैं। अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों के सेवन से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

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क्या हैं इसके लक्षण?

  • मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं।
  • मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन तक का हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे।
  • मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है।
  • बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं।

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