पीपुल्स संवाददाता, ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक युवक-युवती ने प्रेम विवाह करने के बाद कोर्ट में सुरक्षा के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अग्नि के सात फेरे लेने के बाद विधि-विधान को पूरा करना होता है। वह विधि पूरी होने के बाद ही विवाह वैध माना जाता है, लेकिन ऐसा देखने में आ रहा है कि विवाह को वैध कराने के लिए याचिकाएं दायर की जा रही है। ऐसी याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं है।
याचिकाकतार्ओं ने ऐसा कोई साक्ष्य भी पेश नहीं किए हैं कि उन्हें किसी से धमकी मिली है। पुलिस के पास भी नहीं गए हैं।
मुरैना निवासी एक युवक-युवती ने 16 अगस्त 2021 को लोहा मंडी किला गेट स्थित आर्य समाज मंदिर में प्रेम विवाह किया था। इसके बाद दोनों हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि दोनों प्रेम विवाह किया है। उनके स्वजन व अन्य लोग झूठी शिकायतें कर रहे हैं, उन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए। सुरक्षा प्रदान की जाए।