भोपालमध्य प्रदेश

आज हिंदी दिवस : जो कम शब्दों में दृश्य खड़े कर दे, वही कहानी सर्वश्रेष्ठ होती है: संतोष चौबे

हिंदी दिवस पर क्लब रिटराटी ने आयोजित किया संतोष चौबे के ‘कथा संसार’ पर सार्थक संवाद। संतोष चौबे ने अपने रचित उपन्यास ‘राग केदार, क्या पता कॉमरेड मोहन, जलतरंग, कहानी संग्रह- मगर शेक्सपियर को याद रखना, हल्के रंग की कमीज, रेस्त्रां में दोपहर के अंश पढ़े।

भोपाल। कहानी यथार्थ का चित्रण नहीं होती है। कहानी यथार्थ का भाष्य होती है। मेरी कहानियां आज के समय का एक अलग तरह से भाष्य प्रस्तुत करती है। नए आधार तलाशने पड़ते है, बहुत कम शब्द खर्च करते हुए पाठकों के सामने दृश्य खड़े हो जाएं वही कहानी श्रेष्ठ होती है। यह कहना था वरिष्ठ कविकथाकार संतोष चौबे का। वे सोमवार को क्लब लिटराटी द्वारा ‘कथा संसार’ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

दृश्य कहानी को जीवंतता प्रदान करते हैं…

कार्यक्रम के दौरान निदेशक, विश्व रंग एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा कि दृश्य कहानी को जीवंतता प्रदान करते है। बड़ा लेखक बनने के लिए ज्ञान के फलक को विस्तारित करना बहुत जरूरी होता है। वरिष्ठ एवं युवा रचनाकार के लेखन को बहुत समझ के साथ पढ़ना जरूरी है। भोजपुर क्लब में आयोजित इस संवाद में युवा कथाकार कुणाल सिंह एवं रेखा कस्तवार ने पूरी चर्चा में मॉडरेटर का किरदार निभाया। कार्यक्रम का संयोजन क्लब प्रेसिडेंट सीमा रायजादा और संचालन असमा रिजवान ने किया।

कहानियों का किया पाठ

कार्यक्रम के दौरान साहित्यकार संतोष चौबे ने अपनी कई कहानियों के अंशों का पाठ भी किया। इस अवसर संतोष चौबे ने अपने रचित उपन्यास ‘राग केदार, क्या पता कॉमरेड मोहन, जलतरंग, कहानी संग्रह- मगर शेक्सपियर को याद रखना, हल्के रंग की कमीज, रेस्त्रां में दोपहर के अंश पढ़े। वहीं उन्होंने कविता संग्रह- ‘कहीं और सच होंगे सपने, कोना धरती का’ के लेखन प्रक्रिया पर बेबाक विचार प्रकट किए।

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