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पुरुषों के वर्चस्व वाले चुनौतीपूर्ण कार्यों से लेकर घर- परिवार, समाजसेवा में आदर्श परचम लहरा रहीं बेटियां

इंदौर। आज हम आपका उन नारी शक्तियों से साक्षात्कार करा रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपने घर-परिवार को आदर्श बेटी, पत्नी और मां बनकर संवारा-संभाला, बल्कि अपने पेशेवर जीवन में भी अपने हौसलों से एक मुकाम हासिल किया है। आदर्श कसौटी की मानक बनी इन महिलाओं ने अपने बेहद व्यस्ततम समय में से समय निकालकर सामाजिक और नागरिक दायित्वों का भी उत्कृष्ट निर्वहन किया है।

80 मैराथन में 60 गोल्ड, 10 सिल्वर जीते

पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में प्रधान आरक्षक के रूप में पदस्थ रेशमा गौड़ अब तक 80 नेशनल और स्टेट मैराथन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं और इनमें 60 में स्वर्ण पदक, 10 रजत पदक और 4 कांस्य पदक प्राप्त कर इंदौर का नाम गौरवान्वित किया है। हर सफलता में एक संघर्ष छुपा होता है। मध्यमवर्गीय परिवार से आई रेशमा चार बहनों में सबसे छोटी है और इनसे छोटा एक भाई है। रेशमा ने भी काफी संघर्ष किया है। 2014 में पिता की बीमारी से निधन के बाद रेशमा के कंधों पर अपने परिवार की जिम्मेदारी आन पड़ी। 30 वर्षीय रेशमा तीनों बहनों की शादी करने के बाद अब अपनी जॉब के साथ भाई का भविष्य संवार रही हैं। रेशमा आगे और नेशनल गेम्स खेलना चाहती हैं। पुलिस सेवा में आने का लक्ष्य देश और समाजसेवा बताती हैं।

रिकवरी एजेंसी का सफल संचालन

बैंक रिकवरी, कलेक्शन जैसे पुरुष वर्चस्ववादी क्षेत्र में बतौर सेवा प्रदाता काम कर रही पिंकी अमित सिकरवाल सूबे के छह से अधिक जिलों में अपने नेटवर्क के माध्यम से काम कर रही हैं। बीते 15 वर्षों में कई ख्यात वित्तीय संस्थाओं में शुरुआत में नौकरी कर पिंकी ने काम की बारीकियों को समझा। बीते तीन वर्षों से अधिक समय से वे कई बैंकों की कलेक्शन एजेंसी लेकर काम कर रहीं हैं। बच्चे की परवरिश के साथ लगभग आठ घंटे काम और इसके साथ ‘समस्या क्या है?’ जैसी समाज सेवा के लिए शुरू की गई पहल का भी हिस्सा हैं। रक्तदान, निर्धनों का उपचार, दवाएं, निराश्रितों की सेवा जैसे सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित हैं। पेशेवर चुनौतियों को बखूबी हेंडल करना और रिकवरी जैसे मुश्किल काम को बेहतर प्रबंधन कर अंजाम तक पहुंचाना इनका हुनर है।

10 घंटे की जॉब फिर भी बेटे ने किया टॉप

किचन मैनेजमेंट के साथ आईटी कंपनी में बतौर एचआर मैनेजर के पद पर सेवाएं दे रहीं शीतल अग्रवाल महीने में 20 घंटे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के लिए रिजर्व रखती हैं। फ़ूड ड्राइव, ब्लड डोनेशन कैम्प और सर्व शिक्षा जैसी मुहिम से जुड़ी अग्रवाल की नियोक्ता कंपनी ने उन्हें उनके मल्टी टेलेंट की वजह से वर्ष 2017 से वर्क फ्रॉम होम करने की आजादी दी है। शीतल की मानें तो इस आजादी की वजह से ही वह समझ पाई की दसवीं कक्षा में अध्ययनरत बेटे की रुचि अनुरूप भविष्य केवल पीसीएम स्ट्रीम में ही नहीं है। उन्होंने बेटे की मर्जी के मुताबिक उसे विधि विषय में कॅरियर बनाने की राह मुकम्मल की। बेटे सक्षम ने वर्ष 2022 की क्लेट में टॉप किया है। वैसे शीतल इसे अपनी कामयाबी न मानकर केवल इसे सही समय पर सही फैसला लेने में बच्चों की सहायता कर पाने का हुनर मानती हैं।

दृष्टिहीन अधिवक्ता ने लिखा ब्रेललिपि में कुरान-ए-शरीफ, राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पुरस्कार से किया था सम्मानित

दृष्टिहीन अधिवक्ता राबिया खान के हौसले की फेहरिस्त में यूं तो कई कीर्तिमान रचे-बसे हैं, लेकिन हम आज आपको उनकी हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति के बारे में बताते हैं। दरअसल, राबिया ब्रेललिपि में कुरान-ए-शरीफ लिखकर एक अनूठा कीर्तिमान रच चुकी हैं। उन्हें उनके इस हुनर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

खेलो इंडिया एक शानदार प्रयास था : रिंकू आचार्य

देश में खेलों के लिए अब अच्छा माहौल है। खासतौर पर लड़कियों को खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने के काफी अवसर मिलने लगे हैं। लड़कियां अब नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और सफलताएं भी अर्जित करने लगी हैं। पहले की अपेक्षा अब लड़कियों के पैरेंट्स भी उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करने लगे हैं। उसके बावजूद लड़कियों को और अधिक हर विधा में आगे बढ़ना होगा और उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं सरकार को देना होगी, ताकि वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। हाल ही में जिस प्रकार से महिला क्रिकेटरों के लिए वूमंस क्रिकेट लीग की शुरुआत हुई है, ऐसी ही अन्य खेलों की लीग शुरू होना चाहिए। पिछले माह खेलो इंडिया का जो आयोजन किया गया वह अच्छा प्रयास था।

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