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पुरानी दमकलों और 80 प्रतिशत अनट्रेंड स्टाफ के भरोसे राजधानी में आग से बचाव के इंतजाम

भोपाल। सतपुड़ा भवन में लगी आग को वक्त पर कंट्रोल करने में नगर निगम फायर ब्रिगेड का अमला बेबस नजर आया। वजह-अनट्रेंड फायर फाइटर्स और आधे-अधूरे आउटडेटेड संसाधन रहे। लिहाजा आग तेजी से फैली और छठवीं मंजिल तक पहुंच गई। निगम फायर ब्रिगेड में 80 फीसदी फायर फाइटर्स दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, जिनके पास कोई ट्रेनिंग नहीं है।

412 वर्ग किमी में फैले शहर की करीब 29 लाख की आबादी को फायर सिक्योरिटी देने का जिम्मा निगम के फायर ब्रिगेड का है। उसके पास 32 फायर फाइटर्स (दमकल) का बेड़ा है, जो आबादी और एरिया के हिसाब से कम है। 16 दमकलें ऐसी हैं, जो 20 से 46 साल पुरानी हैं। दो हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म में से एक करीब 30 साल पुराना है। यानी 50 फीसदी बेड़ा आउटडेटेड हो चुका है। अमले के नाम पर भी फायर ब्रिगेड तंगहाल है। 800 से 1000 फायर कर्मियों की जरूरत है, लेकिन महज 410 कर्मचारी ही हैं। लेटेस्ट मॉडल दमकलों की बात करें तो दो दमकलें 2014 में खरीदी गई थीं। इससे पहले 3 दमकलें 2005-9 के बीच खरीदी गगईं। नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के मुताबिक एक दमकल की लाइफ 10 साल होती है। उम्र पूरी करने वाली दमकलों को हटा दिया जाता है।

ऊंची इमारतों में आग बुझाने के संसाधन नाकाफी

ऊंची इमारतों में आग बुझाने के लिए निगम के पास दो हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म हैं। एक 70 फीट ऊंचा हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म 1988 में और दूसरा 171 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्म पिछले साल खरीदा गया, जो 18 मंजिल तक आग बुझा सकता है। हालांकि अहम बात ये है कि 2012 में जब इस हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म को खरीदने की कवायद शुरू हुई, तब शहर में सबसे ऊंची बिल्डिंग 13 मंजिला थी। अब शहर में 35 मंजिला यानी (350 फीट) ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। ऐसे में नया हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म भी आग बुझाने में ज्यादा सहायक नहीं है।

पुराना भवन होने की वजह से आग बुझाने के साधन नहीं थे

दोपहर करीब दोपहर एक बजे हमें हल्का सा धुआं और कुछ जलने की गंध आई। हमें लगा कि कहीं शॉर्ट सर्किट हुआ होगा, क्योंकि 65 साल पुरानी बिल्डिंग में बिजली की पुरानी लाइनें हैं। यहां आए दिन शॉर्ट सर्किट होता है। तीन घंटे तक जलने की गंध आ रही थी। उस समय आग एक छोटे से कमरे में लगी थी, लेकिन फायर ब्रिगेड शाम 5 बजे तक पहुंची। यदि समय पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंच गई होतीं, तो आग को बढ़ने से रोका जा सकता था। शाम करीब चार बजे तक आग बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। थोड़ी देर में ही आग की लपटों का अहसास होने लगा। हमने बाहर देखने के लिए खिड़की खोली, तो बाहर आग की लपटें दिखागईं दे रही थीं। हमने सभी कर्मचारियों से कहा कि बाहर निकलो, बिल्डिंग मेें आग लग गई है। आग भवन के दूसरे कोने में लगी थी, यहां से सीढ़ियां थोड़ी दूर थीं, इसलिए हम सभी सीढ़ियों से ही नीचे उतरे। हमारे नीचे उतरने के बाद करीब पांच बजे फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची। गाड़ियों में इतना प्रेशर नहीं था कि पानी ऊपरी मंजिल तक जा सके। पहले एक घंटे में सिर्फ तीन गाड़ियां ही पहुंची थीं, जब नगर निगम के अधिकारियों को आग की भयावहता का अहसास हुआ, तब और गाड़ियां आगईं। पुराना भवन होने के चलते कहीं भी आग बुझाने के साधन नहीं थे। हाल ही में बिल्डिंग में फायर सेफ्टी वर्क की बात चली थी, लेकिन वह ठंडे बस्ते में चली गई। यही नहीं, सभी दफ्तरों में रिनोवेशन हुआ, तो कमरों की दीवारें तोड़कर लकड़ी के पार्टीशन कराए गए। यही कारण है कि आग इतनी तेजी से फैल गई।

ढाई लाख की आबादी पर एक फायर स्टेशन: नेशनल फायर एडवाइजरी कमेटी के मुताबिक, 50 हजार की आबादी पर एक फायर स्टेशन होना चाहिए। इधर, भोपाल में 29 लाख की आबादी पर महज 11 फायर स्टेशन हैं। यानी करीब ढाई लाख की आबादी पर महज एक फायर स्टेशन है, जबकि नियमानुसार इनकी तादाद 50 होनी चाहिए।

इधर, कांग्रेस ने जताई साजिश की आशंका

इधर, सतपुड़ा भवन में लगी आग के मामले में कांग्रेस ने साजिश की आशंका जताई है। पूर्व मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा कि आग के बहाने घोटालों के दस्तावेज जलाने की यह साजिश तो नहीं है…। वहीं पूर्व मंत्री और विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि किसी भी राज्य में चुनाव से पहले सरकारी रिकॉर्ड भवन में अगर आग लग जाए, तो समझो सरकार गई। गुनाह मिटा दिए गए। इधर, कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि मैंने 15 दिन पहले ही इसकी आशंका जाहिर की थी कि सरकारी दफ्तरों में आग लगने का अभियान शुरू होगा। आम आदमी पार्टी (आप) के अतुल शर्मा का कहना है कि सतपुड़ा भवन में लगी आग से सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आग लगी या लगाई गई है। सारी गड़बड़ियों के सबूत मिटा दिए गए है।

आर्मी के जवानों ने भी संभाला मोर्चा, देर रात तक डटे रहे

सतपुड़ा भवन में लगी आग बुझाने के लिए सेना की भी मदद ली गई। इसके अलावा सेना की दमकलें भी लगाई गगईं। देर रात करीब पौने एक बजे आग पर काबू पाए जाने के बाद सेना के जवान रवाना हो गए।

मधुमक्खियों ने छकाया

सतपुड़ा भवन की इमारत में बड़ी संख्या में मधुमक्खियों के बड़े-बड़े छत्ते लगे हुए हैं। आग लगने की वजह से मक्खियों ने छत्तों को छोड़ दिया और चारों तरफ फैल गगईं। इनकी वजह से आग बुझाने में फायर फाइटर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

क्या बोले अधिकारी

बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षा के कोई बंदोबस्त नहीं थे। इसकी वजह से आग तेजी से फैली। नगर निगम फायर ब्रिगेड मुस्तैदी से काम में लगा हुआ है। -शाश्वत मीणा, अपर आयुक्त, नगर निगम

फायर ब्रिगेड में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। फायर फाइटर्स सहित अन्य संसाधनों को जरूरत के मुताबिक अपग्रेड किया जाता है। हालांकि अमले की कमी है, जिसकी डिमांड की गई है। -रामेश्वर नील, फायर ऑफिसर, नगर निगम

संवेदनशील होेने से मंत्रालय सहित अन्य बिल्डिंग्स जॉइंट तौर पर नगर निगम फायर के साथ ही पुलिस फायर और सीएसआईएफ (भेल) की जिम्मेदारी में हैं। वार्षिक सर्वे रिपोर्ट बिल्डिंग मेंटेनेंस अथॉरिटी को देते हैं, जिस पर सुधार भी होते हैं। हमारी टीम सतपुड़ा भवन में लगी हुई है और आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं। बिल्डिंग की ऊंचाई अधिक होने और उल्टी दिशा में हवा बहने से दिक्कत आई। तेज हवा से पानी की बौछारें सही जगह नहीं पहुंच रही थीं। हवा की वजह से आग भी भड़क रही थी। -आशुतोष राय, एडीजी, पुलिस फायर सर्विस

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