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Meri Maa Karma Controversy : प्रोड्यूसर बने नेताजी ने किया खेला, तो एक्टर ने खोल दी पोल, पढ़िए पीपुल्स एक्सक्लूसिव में बड़ा खुलासा

छत्तीसगढ़ी और हिंदी में बनी फिल्म 'मेरी मां कर्मा' को लेकर बड़ा विवाद, अभिनेता साहेबदास मानिकपुरी फिल्म मेकर पर भड़के

अमिताभ बुधौलिया, मुंबई। छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा में 5 अप्रैल को रिलीज हुई पॉपकॉर्न प्रोडक्शन की फिल्म ‘मेरी मां कर्मा’ (Meri Maa Karma) एक बड़े विवाद में फंसती दिख रही है। इस फिल्म की कथित फंडिंग को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। वहीं, फिल्म में प्रमुख किरदार निभाने वाले चर्चित कलाकार साहेबदास मानिकपुरी निर्देशक और निर्माताओं के बर्ताव से बहुत दु:खी और नाराज हैं। www.peoplesupdate.com से एक्सक्लूसिव बातचीत में मानिकपुरी ने फिल्म को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।

चर्चे आम- मेरी मां कर्मा के लिए 5 करोड़ की फंडिंग, खर्च सिर्फ एक चौथाई

फिल्म के प्रोड्यूसर डीएन साहू राजनीति में सक्रिय बताए जाते हैं। फिल्म के लेखक कौस्तुन साहू उनके बेटे हैं। चर्चाएं हैं कि छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा में यह फिल्म बनाने के पीछे कथिततौर पर ‘पैसों का खेला’ हुआ है। सूत्रों के मुताबिक फिल्म निर्माण के लिए राजनीति और अन्य क्षेत्रों से जुड़े साहू समाज के नामी-गिरामी लोगों से फंडिंग कराई गई। फिल्म का बजट 5-7 करोड़ बताया जा रहा है, लेकिन खर्च महज 1 करोड़ किए गए। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं की हो सकी है। इस बारे में साहेबदास मानिकपुरी भी चुप्पी साध गए, लेकिन उन्होंने इससे इनकार भी नहीं किया।

‘ले चलहूं अपन दुआरी’ में भी साथ थे साहिबदास

साहेबदास बताते हैं- ‘पॉपकॉर्न प्रोडक्शन के प्रोड्यूसर डीएन साहू और यूके साहू के अलावा डायरेक्टर मृत्युंजय सिंह व लेखक कौस्तुन साहू के साथ मैं शुरू से ही जुड़ा रहा हूं। मैं इनके साथ छत्तीसगढ़ फिल्म ‘ले चलहूं अपन दुआरी’ कर चुका था। जब इन लोगों ने फिल्म मेरी मां कर्मा के लिए संपर्क किया, तो मैं मित्रवत तैयार हो गया। चूंकि मैं छत्तीसगढ़ी हूं इसलिए मां कर्मा के बारे में काफी पढ़ा-सुना है। वे भगवान कृष्ण की भक्त थीं। मुझे विषय अच्छा लगा। मेरी इन लोगों के साथ यह दूसरी फिल्म है। दोनों फिल्मों की कॉस्टिंग से लेकर लोकेशन आदि तक मैंने खूब मदद की। चूंकि पहली फिल्म के लिए मैँने इनसे कोई पैसे नहीं लिए थे, इसलिए उन्होंने कहा कि इस बार वे मुझे हैंडसम अमाउंट देंगे। हालांकि जब मुझे चेक भेजा गया, तो मैं हैरान रह गया। यह मेरे लिए ठेस पहुंचाने वाली बात थी।’

‘मे आई कम इन मेडम’ के सेट पर हुई थी पहली मुलाकात

साहेबदास बताते हैं- ‘यह वर्ष 2016-17 की बात होगी। तब मैं चैनल लाइफ ओके का शो मे आई कम इन मैडम शूट कर रहा था। मृत्युंजय और कौस्तुन मुझसे मिलने सेट पर आए। तब वे छत्तीसगढ़ी फिल्म (ले चलहूं अपन दुआरी) प्लान कर रहे थे। चूंकि हम सभी छत्तीसगढ़ी हैं, इसलिए मैंने खुशी से हामी भर दी। हालांकि प्लानिंग के दौरान ही कोरोना लॉकडाउन लग गया और फिर प्रोजेक्ट रुक गया। इस तरह 4-5 साल निकल गए। अचानक से फिर इनका कॉल आया कि फिल्म की तैयारियां ऑल मोस्ट रेडी हैं और हमने आपको सरप्राइज देने के लिए कॉल किया है। मैंने उनसे अपने किरदार और पेमेंट को लेकर कुछ भी नहीं पूछा। सिर्फ इतना कहा कि आपकी फिल्म बननी चाहिए, आपका प्रोडक्शन हाउस खड़ा होना चाहिए। आप लोग इतनी मेहनत जो कर रहे हैं।’

ले चलहूं अपन दुआरी और मेरी मां कर्मा दोनों फिल्मों में हर तरह से मदद की

साहेबदास पीड़ा जताते हैं- ‘मैंने इनकी दोनों फिल्म की कास्टिंग से लेकर बाकी चीजों में पूरी हेल्प की। यहां तक कि पहली फिल्म के लिए तो अपने पैसों से छत्तीसगढ़ गया। उस फिल्म के लिए उनसे एक पैसा तक नहीं लिया। फिल्म के स्टार्ट टू एंड हर तरह से मदद की, यहां तक कि प्रमोशन भी किया। पहली फिल्म ठीकठाक चली। लोगों का रिस्पांस भी अच्छा रहा। हालांकि बजट क्यों नहीं निकला, यह अलग बात है।’

सबको अच्छा पैसा, मेरा यूज किया

साहेबदास खुलासा करते हैं- ‘जब मैं मे आई कमिन मेडम का सीजन-2 शूट कर रहा था… शायद अगस्त की बात होगी, तब इनका फिर कॉल आया था कि वे मेरी मां कर्मा कर रहे हैं। इस बार फिल्म छत्तीसगढ़ में नहीं, मुंबई में ही शूट करेंगे। फिल्म 15 दिन में शूट कर लेंगे। इसमें भी मैंने कास्टिंग में मदद की। सबसे हैरानी की बात, जिन कलाकारों की मैंने कास्टिंग कराई, उन्होंने अच्छा-खासा पैसा लिया। हमें भी उम्मीद थी कि इस बार ये लोग मेरा मान-सम्मान रखेंगे। अफसोस ऐसा नहीं हुआ।’

मुझ पर गाना फिल्माया, मगर स्क्रैप कर दिया

साहेबदास बताते हैं- ‘आपको हैरानी होगी कि इन्हें एक दिन में दो गाने शूट करने थे। अव्यवस्था ऐसी कि दिनभर आधे-आधे गाने शूट करते रहे। ऐसा लगा कि जैसे खिचड़ी पका रहे हों। खैर, जैसे-तैसे दोनों गाने शूट हुए, मगर मेरा सांग फिल्म से स्क्रैप कर दिया। डबिंग के दौरान भी इनका अजीब बर्ताव रहा। किसी कारणवश मैं इनका कॉल नहीं उठा सका। बाद में हुए बर्ताव से ऐसा लगा कि इनके मन में कुछ तो चल रहा है। हालांकि, डबिंग पूरी हुई। खैर, जब फिल्म का प्रमोशन शुरू हुआ, तो उसमें नाम तक नहीं दिया। कई पत्रकारों और परिचितों के कॉल आ रहे हैं कि भाई आपका नाम क्यों नहीं? मैं इसका क्या जवाब दूं? मैंने डायरेक्टर से पूछा कि मैं इस प्रोजेक्ट से शुरू से जुड़ा रहा, इसमें मेरा नाम तक नहीं… यह कितनी शर्म की बात है? मगर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मुझे पीड़ा भी है और गुस्सा भी बहुत आ रहा है।’

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