
इंदौर। गुजरात में बड़ोदरा में महिसागर नदी पर बना ब्रिज टूटने के बाद से मध्यदेश में नर्मदा नदी पर स्थित मोरटक्का ब्रिज पर मौत का ताडंव हो सकता हैं। मप्र कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने बताया कि इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर नर्मदा नदी के ऊपर बनाया गया पुल करीब 75 वर्ष पुराना हो गया है।जिसके उपयोग की सीमा भी लगभग समाप्त हो चुकी है। लेकिन करीब 1 किलोमीटर लंबे पुल के समानांतर नया ब्रिज अब तक नहीं बन पाने के कारण इंदौर से खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी समेत करीब 5 जिले के लाखों लोग रोज इसी पुल से गुजरने को मजबूर हैं।
महाराष्ट्र को जोड़ता हैं यह ब्रिज –
महाराष्ट्र को खंडवा के रास्ते मध्य प्रदेश से जोड़ने वाले इसी पुल के ऊपर से रोज हजारों टन माल से लदे भारी-भरकम ट्रक और टैंकर गुजरते हैं। 2020 की बाढ़ में पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। सर्वे के लिए टीम गठित करके पुल की मजबूती जांचने के लिए इंदौर संभाग आयुक्त ने एसजीएसआईटीएस कॉलेज के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से जांच करने का फैसला किया था। एसजीएसआईटीएस के डायरेक्टर डॉ. राकेश सक्सेना के मुताबिक प्रशासन द्वारा पत्र भेजा गया था कि ब्रिज की प्रेजेंट स्टेटस रिपोर्ट तैयार की जाए। इस मामले के लिए टीम गठित की गई थी।
रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की
सबसे बड़ा सवाल कि सर्वे जॉंच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई हैं। जबकि ऐसी सूचना सूत्रों से मिली हैं कि सर्वे जॉंच रिपोर्ट में पुल उपयोग योग्य नहीं पाया गया हैं। इस जॉंच रिपोर्ट को दबा कर पूल का उपयोग करना गुजरात ब्रिज कांड को दोहराने की कोशिश करने जैसा कदम हैं। जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट हैं कि 20 टन से ज़्यादा वजन के ट्रक इस पुल से गुजर नहीं सकते हैं, लेकिन रोज़ाना इससे बहुत अधिक वजन लेकर चलने वाले कंटेनर ट्रक गुज़र रहें हैं। कभी भी ब्रिज ढह सकता है।
पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने बताया की नये बन रहे ब्रिज का कार्य जून 2024 में पूर्ण होना था। लेकिन भ्रष्टाचार और कमीशनबाजी की वजह से आज तक ब्रिज अधूरा हैं।ब्रिज का निर्माण भारत माला परियोजना फेज -1 प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया जा रहा हैं। ब्रिज बनाने वाली गुजरात की कंपनी मंगलम कंस्ट्रक्शन ने समय सीमा में कार्य नहीं किया हैं। एनएचएआई का दावा फेल हो गया हैं।