
प्रीति जैन/ पिता के सख्त किरदार की भूमिका समय से साथ बदलती जा रही है और अब डैडी कूल होते जा रहे हैं। आज के पिताओं का मानना है कि जेनरेशन गैप तो रहेगा लेकिन वैसा नहीं जैसा कि पिछली पीढ़ियों ने अनुभव किया है। अब पिता अपने बच्चों के शौक अपना रहे हैं तो वहीं बच्चे अपने पिता की हॉबीज से कनेक्ट कर रहे हैं। स्पोर्ट्स और एडवेंचर ऐसी फील्ड हैं, जिसमें बच्चों की रुचि हमेशा रहती है और ऐसी हॉबीज पिता में हो तो बच्चे उनके साथ ज्यादा एंजॉय करते हैं। शहर में ऐसे कई पिता है, जिनके बच्चे उनके साथ ट्रैकिंग से लेकर मैराथन में साथ पूरी करते हैं। 21 जुलाई को पचमढ़ी में मैराथन होने जा रही है। इसकी तैयारी के लिए पिता-बच्चों की जोड़ी खूब पसीना बहा रही है, ताकि उनकी जोड़ी मेडल जीत सके और फिट रहे।
बेटे का साथ निभाने उसकी कैटेगरी मे रनिंग करूंगा
पिछले कुछ सालों से साइकलिंग व मैराथन में भाग ले रहा हूं तो लगा कि बेटे को भी साथ लेकर जाऊं। पहली बार जब अपने बेटे आजाद को अपने साथ मैराथन में लेकर गया तो मुझे लगा कि मैं धीरे-धीरे रनिंग करूं लेकिन वो मुझसे ज्यादा तेज भाग गया और पांच किमी की दौड़ पूरी की। मेरा बेटा आजाद अभी 10 साल है और हम दोनों 21 जुलाई को 10 किमी पचमढ़ी मैराथन में दौड़ने वाले हैं। मैं उसे कंपनी देने के लिए उसकी कैटेगरी में रनिंग करूंगा। हम दोनों बहुत वक्त प्रैक्टिस में एक साथ बिताते हैं तो हमारी बॉन्डिंग भी हटकर है और वो बचपन से फिटनेस का सबक भी ले रहा है। -अंकुर गुप्ता, फैकल्टी, आइसर
दोनों बेटों को बनाया अपना रनिंग पार्टनर
शुरुआत में मैं जब ट्रैकिंग पर जाता था तो बेटों को भी साथ ले जाता था। मुझे लगा कि कई बार मुझे भोपाल से बाहर साइकलिंग के लिए जाने के लिए मेरे पसंद के दिन पर पार्टनर नहीं मिल पाता तो क्यों न बच्चों को अपने पार्टनर के रूप में तैयार करूं। बच्चों को भी मजा आने लगा तो हम अब लॉन्ग साइकलिंग राइड के लिए भी जाने लगे। रनिंग में दोनों बेटे मुझे जॉइन करते हैं। बड़ा बेटा संभव 12 साल का है और छोटा बेटा विराट 6 साल का। हम तीनों की एक ही हॉबी होने से काफी आराम रहता है क्योंकि सभी मन से एक साथ होते हैं। हम इससे नेचर से भी जुड़ते हैं और फिट रहते हैं। -संजय मिश्रा, फैकल्टी, फिजिकल एजुकेशन
बेटी के साथ पूरी करूंगा मैराथन
मैं अपनी 9 साल की बेटी मानवी के साथ रनिंग को एंजॉय करता हूं। मैं कई बार उससे कहता हूं कि रूक जाओ लेकिन बच्चों के अंदर बहुत μलेक्सिबिलिटी होती है। हम दोनों वीकएंड पर रेगुलर रनिंग करते हैं ताकि मैराथन में जा सकें। पचमढ़ी मैराथन की हम तैयारी कर रहे हैं और साथ में रनिंग करेंगे। – योगेश खाकरे, सीएस
जुलाई में तीनों मैराथन में साथ दौड़ेंगे
मेरे दोनों बेटे अर्जुन और अनुज लगभग 8 से 10 साल से मुझे कंपनी दे रहे हैं। हम साइकलिंग, ट्रैकिंग और मैराथन साथ में करते हैं। पहले मैं उनके साथ अपनी कैटेगरी छोड़कर दौड़ा करता था लेकिन अब वो मुझसे ज्यादा रनिंग कर लेते हैं। अब बेटे जुलाई में पचमढ़ी मैराथन में मेरे साथ 21 किमी में रनिंग करेंगे। – संजय तिवारी, बिजनेसमैन