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चली गई ग़ज़ल की आवाज़… नहीं रहे मशहूर गायक पंकज उधास, लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे; बेटी नायाब ने की पुष्टी

एंटरटेनमेंट की दुनिया से बुरी खबर सामने आई है। मशहूर गजल गायक पंकज उधास का निधन हो गया है। 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। बेटी नायाब उधास ने सिंगर के मौत की खबर की पुष्टि की है। पिछले कुछ समय से पंकज मुंबई के ब्रीच क्रैंडी अस्पताल में भर्ती थे। इसी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार कल मुंबई में किया जाएगा।

बेटी नायाब ने दी जानकारी

बेटी नायाब उधास पोस्ट में लिखा- बहुत दुख के साथ हमें ये आपको बताना पड़ रहा है कि पद्मश्री पंकज उधास का 26 फरवरी 2024 को निधन हो गया है। वो लंबे समय से बीमार थे।

पैंक्रियाज के कैंसर से जूझ रहे थे सिंगर

सिंगर अनूप जलोटा ने मीडिया से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की है कि पंकज उधास को पैंक्रियाज का कैंसर था। उन्हें चार महीने पहले ही इसके बारे में पता चल गया था।

गज़ल संगीत की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति

“संगीत आत्मा की भाषा है, “ग़ज़ल दिल की आवाज़ है” यह शब्द हैं पंकज उधास के… इसमें अगर जोड़ दें कि पंकज उधास गजल की आवाज थे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। लेकिन, काल के हाथों ने इस आवाज को हमसे छीन लिया। भारत के एक प्रसिद्ध गज़ल गायक, जिनकी मधुर और मखमली आवाज़ ने लाखों दिलों को छुआ। 17 मई 1951 को जन्मे उधास जी ने 40 साल से भी अधिक समय तक गायन क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनका निधन गज़ल संगीत की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

बचपन से था संगीत का शौक

उधास का जन्म गुजरात के जैतपुर में हुआ था। उन्होंने गुजराती साहित्य और संगीत में अपनी तालीम ली। बचपन से ही संगीत का शौक था, लिहाजा रियाज कभी नहीं छोड़ा। बाद में उन्होंने ग़ज़ल गायकी में अपना करियर बनाने का फैसला किया। पंकज ने 1980 में “आहट” नामक ग़ज़ल एल्बम से अपना गायन करियर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने “मुकर्रर”, “तरन्नुम”, “महफिल”, “नायाब” और “आफ़रीन” जैसे कई लोकप्रिय एल्बम गाए। 1986 में, उन्होंने फिल्म “नाम” में “चिट्ठी आई है” गीत गाया, जो उनके करियर का सबसे लोकप्रिय गीत बन गया।

ग़ज़ल गायकी के सम्राट थे पंकज उधास

इसके बाद आया वो गीत जिसने उन्हें हर दिल में अमर कर दिया जिसके बोल थे, चांदी जैसा रंग है- तेरा, सोने जैसे बाल, इक तू ही धनवान है गोरी, बाकी सब कंगाल। इन दो गजलों के बाद तो पंकज उधास ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कई जगह तो केवल उनके नाम से ही ऑडिटोरियम फुल हो जाते थे और टिकटों की मारामारी होती थी। उनकी गायकी में एक अद्भुत मधुरता और भावना के साथ आवाज़ में गहरापन था, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। वे ग़ज़ल के शब्दों को इस फीलिंग के साथ गाते थे कि सुनने वालों से दिल का रिश्ता बन जाता। उधास को उनके गायन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। वे सही अर्थों में ग़ज़ल गायकी के सम्राट थे। उनकी मधुर आवाज़ हमेशा लोगों के गूंजती रहेगी। उनके जाने से गज़ल संगीत की दुनिया में एक ऐसा खाली पन आ गया है, जो शायद ही कभी भरा जा सके… उनकी कमी हमेशा महसूस होगी।

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