भोपालमध्य प्रदेश

12वीं में मैथ्स में अच्छे नंबर नहीं आए तो मेडिकल फील्ड चुना; इसे ही बनाया पैशन, मिले 9 गोल्ड मेडल

एम्स भोपाल : दीक्षांत समारोह में 833 स्टूडेंट्स को डिग्री, 64 को गोल्ड मेडल मिले

I am Bhopal । एम्स भोपाल में रविवार को द्वितीय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार विशेष रूप से उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग, संस्थान के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वाईके गुप्ता, राज्य सभा सदस्य विवेक के तन्खा और महापौर मालती राय मौजूद थी। दीक्षांत समारोह में 833 स्टूडेंट्स डिग्री प्रदान की गई, जिसमें 64 गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। इसमें 40 एमबीबीएस कोर्स के लिए और 24 बीएससी नर्सिंग के स्टूडेंट्स को दिए गए। एमबीबीएस कोर्स के लिए 40 में से 4 ओवरऑल टॉपर्स को प्रदान किए। 12 प्रोफेशनल एग्जाम टापर्स को और बाकी सब्जेक्ट टॉपर्स को दिए गए। बीएससी नर्सिंग के लिए 24 पदकों में से ओवरऑल टापर के लिए 4, प्रोफेशनल एग्जाम टॉपर के लिए 16 और एनाटामी और फिजियोलाजी विषय के लिए 4 पदक प्रदान किए गए।

क्रिटिकल केयर यूनिट का भूमिपूजन

राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार द्वारा पीएम आयुष्मान भारत, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के अंतर्गत 150 बिस्तरों वाली क्रिटिकल केयर यूनिट की स्थापना हेतु भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया गया। ह्यूमन मिल्क बैंक, ईसीएमओ मशीन की सुविधा, 27 बिस्तरों की एनआईसीयू का लोकार्पण किया गया। साथ ही अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं से अवगत कराया गया। इस दौरान मंत्री द्वारा एम्स परिसर में पौधरोपण किया गया।

देश के लोगों की सेवा करना हमारा कर्तव्य

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि रोगियों की पीड़ा को कम करने की कोशिश करें। साथ ही देश के लोगों की सेवा करना भी हमारा कर्तव्य है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने मेडिकल छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि जब कोई गरीब मरीज इलाज कराने में असमर्थता व्यक्त करे, तो पैसे के लिए जोर न दें, क्योंकि सद्भावना की शक्ति पैसे से अधिक मूल्यवान और शक्तिशाली है।

न्यूक्लियर मेडिसिन में कर रहा हूं एमडी

2017 बैच के एमबीबीएस छात्र अखिल वेणुगोपाल ने बताया कि 9 गोल्ड मेडल मिले हैं। अभी मैं दिल्ली एम्स से न्यूक्लियर मेडिसिन में एमडी कर रहा हूं। मैं अपने घर का पहला डॉक्टर हूं। उन्होंने बताया कि मैं पहले एस्ट्रोनॉट बनना चाहता था, लेकिन 12वीं में मैथ्स में अच्छे नंबर नहीं आए, जिससे मुझे मेडिसिन लेना पड़ा। बाद में मैंने मेडिसिन को ही अपना पैशन बनाया। उन्होंने कहा कि इस फील्ड में आने वाले स्टूडेंट्स अपने पैशन को फॉलो करे। अपने काम को पूरी मेहनत और लगन से करें।

घर की पहली डॉक्टर बनी

2015 बैच की एमबीबीएस स्टूडेंट श्वेता शर्मा कहती हैं कि 6 गोल्ड मेडल मिले है। वही घर की पहली डॉक्टर भी हूं। उन्होंने कहा कि हमेशा से मेडिकल फील्ड में आना चाहती थी। फैमिली में मेडिकल बैकग्राउंड से कोई नहीं था, लेकिन पापा ने गाइड किया, तभी ये संभव हो सका। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के साथ अपनी हॉबी को भी पूरा करती थी, जिससे थोड़ा स्ट्रेस भी कम होता था साथ ही नई ऊर्जा भी मिलती थी। अभी मैं एम्स दिल्ली से एमडी (मेडिसिन) कर रही हूं, और आगे लोगों की सेवा करना ही लक्ष्य है।

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