
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूछा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अर्जी में अब कौन सा पहलू बचा है, जबकि आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें पहले ही सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह अब केवल अकादमिक मुद्दा है। उसने पूछा कि यदि प्रवर्तन निदेशालय की याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो क्या यह एजेंसी मुख्यमंत्री को फिर गिरफ्तार करेगी ?
ED के वकील ने कहा – गिरफ्तारी का कोई प्रश्न ही नहीं
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने ईडी के वकील से कहा- मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए। यदि मैं आपकी याचिका मंजूर कर लेती हूं तो क्या होगा। क्या आप उन्हें फिर गिरफ्तार कर लेंगे। इस पर ईडी के वकील ने कहा कि गिरफ्तारी का कोई प्रश्न ही नहीं है और किसी ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध नहीं घोषित किया है।
जस्टिस कृष्णा ने यह भी कहा कि इस मामले में दायर अर्जी इतनी अच्छी तरह तैयार की गई है कि वह भ्रमित हो गईं। उन्होंने कहा- क्या यह जमानत के लिए है या अवैध हिरासत के लिए या क्षतिपूर्ति के लिए ? मैं भ्रमित हूं।
12 जुलाई को SC ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को धनशोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी और धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘‘गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता” के पहलू पर तीन सवालों पर गहन विचार के लिए इस मामले को एक बड़ी पीठ को भेज दिया था। लेकिन केजरीवाल अब भी जेल में हैं, क्योंकि वह आबकारी घोटाले पर आधारित भ्रष्टाचार के एक मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं।
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