भोपालमध्य प्रदेश

खजुराहो नृत्य समारोह का छठा दिन: ट्रांसजेंडर ने दी भावपूर्ण प्रस्तुति, कलाकारों ने कराए ओडिसी नृत्य के वैभव के दर्शन

मिर्ज़ा खावर बेग की रिपोर्ट खजुराहो से। 48वें खजुराहो नृत्य समारोह का आज छठा दिन था। पर्यटन नगरी जहां इन दिनों संस्कृति का सैलाब सा आया हुआ है। नृत्य समारोह के बहाने भारतीय कलाओं का एक उदात्त स्वरूप यहां देखने को मिल रहा है।

ट्रांसजेंडर ने दी कथक की प्रस्तुति

खजुराहो नृत्य महोत्सव का आज छठा दिन था और आज का आगाज एक ऐसी नृत्यांगना ने किया, जिसे समाज अलग नजरिए से देखता आ रहा है। देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी एक ट्रांसजेंडर नृत्यांगना हैं। उन्होंने समाज का बहुत विरोध झेलकर आज जो मुकाम पाया है उस पर अब यही समाज फक्र भी करता है। जयपुर घराने से ताल्लुक रखने वाली देविका ने चलन से थोड़ा परे जाकर मुगलिया शैली में कथक की प्रस्तुति दी।” शाम ए रक़्स” नाम की इस पेशकस में उन्होंने प्रख्यात सूफी गायक खुसरो के कलाम” या रे मन बया बया” पर भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

कलाकारों ने ओडिसी नृत्य के वैभव के दर्शन कराए

भुवनेश्वर से तशरीफ़ लाये रुद्राक्ष फाउंडेशन के कलाकारों ने ओडिसी नृत्य के वैभव के दर्शन कराए। प्रसिद्ध ओडिसी नर्तक विचित्रनन्द स्वैन के शिष्यों में शुमार यज्ञदत्त प्रधान दिशानन साहू, विचित्र बेहरा, संतोष राम,समीर पाणिग्रही, सुरेंद्र प्रधान, संजीव कुमार जैन एवं रस्मरंजन ने इस प्रस्तुति में भागीदारी की।

खजुराहो मेले में हर साल आती हैं शारदा बाई

उज्जैन की घटिया तहसील के ग्राम कमेड़ निवासी शारदा बाई में खजूर की पत्ती का समान बनाने का हुनर है। उन्होंने बताया कि जब से खजुराहो नृत्य समारोह में मेला लगना शुरू हुआ तब से वह आ रही है। साथ ही उन्होंने बताया कि करीब 35 साल से वह पूरे भारत में जितने भी मेले लगते हैं वह वहां जाती हैं।

खजुराहो से संबंधित आर्ट्स बनाते हैं

भोपाल की प्रीति सिसोदिया ने बताया कि उन्हें डांस फेस्टिवल में आते हुए 6 साल हो गए है। हम लोग यहां पर खजुराहो से संबंधित आर्ट्स बनाते हैं। जैसे स्टोन पर आर्ट बनाते हैं। मंदिर और लक्ष्मी जी की मुद्रा कार्प करके बनाते हैं। पूरे भारत में जितने भी मेले लगते हैं वह जाते हैं।

हैंडीक्राफ्ट की दुकान लगाते हैं

टीकमगढ़ निवासी सुरेश द्विवेदी ने बताया कि वह हर साल खजुराहो नृत्य महोत्सव में आते हैं और दुकान लगाते हैं। मेरा हैंडीक्राफ्ट का काम रहता है। खजुराहो मंदिर का स्टेचू, सिंगार करते हुए मूर्ति, कैंडल आदि चीजें हम स्वयं बनाते है। यह आपको हर जगह नहीं मिलेगा।

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