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चीन के निशाने पर भारत समेत 20 देशों का डाटा, जासूसी का बढ़ा खतरा

शंघाई की टेक सिक्योरिटी कंपनी आई-सून का डाटा ऑनलाइन हुआ लीक

बीजिंग। साइबर सिक्योरिटी कंपनियों की मदद से चीन खास तरह का सर्विलांस और जासूसी नेटवर्क चला रहा है। हैकिंग के सहारे दूसरे देशों की सरकारों, सेनाओं और अहम संस्थाओं की जासूसी करवाई जा रही है। चीन के शंघाई की एक टेक सिक्योरिटी फर्म आई-सून का डाटा ऑनलाइन लीक हो गया। गिटहब पर डाली गई कुल 190 मेगाबाइट की जानकारी चौंकाने वाली है। आई-सून के लीक डाटा को सेंटीनललैब्स और मेलवेयरबाइट्स जैसी साइबर सिक्योरिटी कंपनियों ने एनालाइज किया है। पता चला कि आई-सून जैसे प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर्स की आड़ में चीनी सरकार ने जासूसी, हैकिंग और सर्विलांस को अंजाम दिया।

जानकारी के मुताबिक भारत, हांगकांग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, ताइवान और मलेशिया जैसे 20 से अधिक विदेशी सरकारों और क्षेत्रों को टारगेट किया गया। सेंटीनललैब्स ने कहा कि यह डाटा लीक चीन की साइबर जासूसी क्षमताओं का सबसे बड़ा सबूत है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी एफबीआई ने कहा है कि चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा हैकिंग प्रोग्राम है।

जासूसी करने के लिए आई-सून के चीन में हैं कई ऑफिस

चीन की आई-सून टेक सिक्योरिटी कंपनी है, जिसके चीन के दूसरे प्रांतों में भी ऑफिस हैं। कंपनी पब्लिक नेटवर्क सिक्योरिटी और डिजिटल इंटेलीजेंस सॉल्यूशन सर्विस प्रोवाइडर है। पिछले हफ्ते कोड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म गिटहब पर आई-सून के कई दस्तावेज अपलोड हुए। चैट लॉग से लेकर तमाम प्रेजेंटेशन और टारगेट्स की लिस्ट भी लीक हुए दस्तावेजों का हिस्सा है। ये डाटा किसने लीक किया, उसका पता नहीं चल सका है। लीक हुए डाटा को साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स ने वेरिफाई किया है।

डाटा लीक की बड़ी बातें

  • एक स्प्रेडशीट में 80 विदेशी टारगेट्स की लिस्ट है, जहां आईसू न के हैकर्स सेंध लगाने में कामयाब रहे। इसमें भारत से 95.2 गीगाबाइट का इमीग्रेशन डाटा और दक्षिण कोरिया के टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर एलजी व प्लस के कॉल लॉग का 3 टेराबाइट का कलेक्शन भी शामिल है।
  • ताइवान से 459 जीबी का रोड-मैपिंग डाटा भी लिस्ट में है। चीन इस इलाके पर अपना दावा करता है। आई-सून ने मंगोलिया, मलेशिया, अफगानिस्तान और थाईलैंड जैसे देशों के एयरलाइन, सेलुलर और सरकारी डाटा को हैक करने का भी दावा किया है।

भारत पहले भी बना है निशाना

चीन द्वारा जासूसी का यह पहला सबूत नहीं है। 2020 में भी चीन के शेंगेन की एक कंपनी 10 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिकों और संस्थाओं की निगरानी कर रही थी। उस लिस्ट में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और उनका परिवार समेत तमाम वीवीआईपी शामिल थे। 2018 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के डाटा ब्रीच में भी चीन का हाथ सामने आया था। आईसू न डाटा लीक के बाद चीन और बाकी दुनिया के बीच तनातनी और बढ़ने की संभावना है। चीन की जासूसी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए बाकी देश आपस में सहयोग बढ़ा सकते हैं।

चीन कैसे फैलाता है जासूसी का जाल

  • लीक जानकारी से पता चला है कि चीन ने कैसे हैकिंग टूल्स की मदद से सोशल मीडिया पर टारगेट्स की पहचान की, उनके ईमेल एक्सेस किए और विदेशी एजेंटों की ऑनलाइन गतिविधि छिपाई।
  • फेसबुक और एक्स (पहले ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म चीन में ब्लॉक हैं। चीन में यूजर्स वहां की सोशल मीडिया ऐप्स यूज करते हैं। विदेशी सोशल मीडिया वेबसाइटों की निगरानी से चीन को विदेशी नागरिकों और विदेशों में चीनी नागरिकों पर नजर रखने और उन्हें टारगेट करने में मदद मिलती है।
  • फर्म के हैकर रिमोटली किसी व्यक्ति के कंप्यूटर तक पहुंच सकते हैं और उस पर कब्जा कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें कमांड एक्जीक्यूट करने और वे जो टाइप करते हैं, उसे मॉनिटर करने की क्षमता हासिल हो जाती है।
  • एप्पल के आईफोन और अन्य स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ-साथ कस्टम हार्डवेयर में सेंध लगाने के तरीके शामिल थे।

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