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युवा बुजुर्गों संग बिता रहे समय ताकि वे न महसूस करें अकेला

बनाया मंजिलें वॉट्सऐप ग्रुप, एक्टिविटी से जोड़ते है

पल्लवी वाघेला-भोपाल। अभी तलक तो मेरे जिम्मे परवरिश थी मेरे बच्चों की, अब फुरसत मिलेगी तो सुनहरे ख्वाब देखूंगा। राजधानी का मंजिलें ग्रुप शहर के सीनियर सिटीजन के इसी अधूरे ख्वाब को पूरा कर रहा है। यह ग्रुप न केवल इन बुजुर्गों का संबल बन रहा है, बल्कि उनकी हॉबी और अधूरी ख्वाहिशों को जानकर उन्हें पूरा करने का प्रयास भी कर रहा है।

अकेलेपन से जूझते देखा

ग्रुप की शुरुआत शैलेन्द्र और दीपा श्रीवास्तव ने की। अब अभिषेक , मीनाक्षी, नंदिनी, शालीन सहित अनेक युवा इससे जुड़ गए हैं। पेशे से मनोवैज्ञानिक सलाहकार और नेचुरोपैथिस्ट दीपा और शैलेन्द्र ने कहा कि सीनियर सिटीजन को अकेलेपन से जूझते हुए देखा है। इसी हाल को देखते हुए उन्होंने मंजिलें एसोसिएशन फॉर एल्डरली पीपुल्स नाम से ग्रुप बनाया। शुरुआत में कुछ वरिष्ठ नागरिकों को जोड़ा, अब 3 साल में इससे 200 लोग जुड़ चुके हैं। ग्रुप के कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जिन्होंने इससे जुड़ने के बाद अपनी हॉबी जैसे कुकिंग, बुक राइटिंग, आर्ट एंड क्राफ्ट को प्रोफेशनली शुरू किया।

संगीत-भजन के कार्यक्रम भी होते हैं आयोजित : मंजिलें के वॉट्सऐप ग्रुप बने हैं। इसमें सीनियर सिटीजन बतियाते हैं। हफ्ते में एक दिन इन ग्रुप में अंताक्षरी, संस्मरण राइटिंग, हेल्थ पर चर्चा जैसे कार्यक्रम होते हैं। दर्शकों के बीच स्टेज पर संगीत-भजन का कार्यक्रम भी होता है।

साइकोलॉजी के कोर्स के दौरान ही मुझे जेरिएट्रिक (वृद्धावस्था) साइकोलॉजी में इंट्रेस्ट था। इसी वजह से मैंने ग्रुप जॉइन किया था। अब मैं समय-समय पर ग्रुप से जुड़े दादा-दादी के घर जाती हूं। – नंदिनी श्रीवास्तव, वॉलेंटियर

बच्चे बाहर सेटल हैं। 70 साल में भी खुद को व्यस्त रखती थी, लेकिन कभी-कभी अकेलापन खल जाता था। अब मैं कुकिंग, एंब्रायडरी और ग्रुप की एक्टिविटीज करती हूं और खुश रहती हूं। – श्वेता नरूला, सीनियर सिटीजन

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