
भोपाल। गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश की आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित एक महत्वपूर्ण पुस्तक ‘तपोधरा मध्यप्रदेश’ का विमोचन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज मुख्यमंत्री निवास पर किया। इस पुस्तक का प्रकाशन वीर भारत न्यास द्वारा किया गया है और इसका संपादन मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार श्रीराम तिवारी ने किया है। पुस्तक में मध्यप्रदेश की गौरवशाली ऋषि परंपरा, गुरुकुल संस्कृति और आध्यात्मिक तपोभूमियों का वर्णन किया गया है।
मध्यप्रदेश की आध्यात्मिक चेतना का चित्रण
यह कृति मध्यप्रदेश की आध्यात्मिक चेतना, ऋषि परंपरा, और गुरु-शिष्य परंपरा का गौरवगान करती है। मध्यप्रदेश महर्षि अत्रि, अगस्त्य, परशुराम और दत्तात्रेय जैसे महान तपस्वियों की तपोभूमि रहा है। यही वह भूमि है जहां महर्षि सांदीपनि के आश्रम में श्रीकृष्ण ने ज्ञान प्राप्त कर योगेश्वर का स्वरूप धारण किया था।
विरासत से विकास की यात्रा का साहित्यिक दस्तावेज
यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विरासत से विकास” की परिकल्पना का सशक्त साहित्यिक रूपांतरण है। पुस्तक में मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक पुनर्जागरण यात्रा, गुरुकुलों की परंपरा, अनकही कथाओं और अलिखित अध्यायों को संकलित कर भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया गया है। तपोधरा मध्यप्रदेश का विमोचन गुरु पूर्णिमा जैसे आध्यात्मिक पर्व पर होना एक प्रतीकात्मक एवं सांस्कृतिक निर्णय है।
गुरु परंपरा को जीवित रखने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह केवल एक किताब नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की आत्मा से जुड़ी हुई चेतना का दस्तावेज है।
वीर भारत न्यास का योगदान सराहनीय
इस पुस्तक का संपादन वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी द्वारा किया गया है, जो मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार भी हैं। यह पुस्तक न केवल एक साहित्यिक योगदान है, बल्कि यह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुनर्निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम है।
प्रदेश में हो रहा सांस्कृतिक पुनर्जागरण
प्रदेश में डॉ मोहन यादव सरकार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना के साथ प्रदेश की आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने में लगी है। राज्य सरकार धरोहरों के संरक्षण, धार्मिक स्थलों के विकास और शैक्षणिक-सांस्कृतिक परियोजनाओं के माध्यम से विरासत से विकास की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने स्वयं लिखी पुस्तक की प्रस्तावना
तपोधरा मध्यप्रदेश की प्रस्तावना स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिखी है। यह प्रस्तावना राज्य की संस्कृति और आध्यात्मिक इतिहास के महत्व को दर्शाती है।