
पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। राज्य सरकार का दावा है कि मध्यप्रदेश की सड़कें अब चकाचक हो गई हैं। भोपाल से छतरपुर के सफर में अब 10 नहीं 7 घंटे लगते हैं। इसके उलट, राष्ट्रीय स्तर पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इनके मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्गों पर गड्ढों से देश में उत्तरप्रदेश के बाद सबसे ज्यादा हादसे मध्यप्रदेश में हो रहे हैं। जबकि आंध्रप्रदेश, गोवा और बिहार में दुर्घटनाओं की संख्या शून्य है।
भोपाल के कटारा हिल्स निवासी 65 वर्षीय श्रीकांत पांडेय बताते हैं कि वे आए दिन सड़क मार्ग से सतना जाते हैं। आलम है कि गड्ढों से विदिशा तक पहुंचने में उनकी कमर दर्द करने लगती हैं। वहीं सिंगरौली के कौशल सिंह डिगवार कहते हैं कि कहने के लिए ऊर्जाधानी है। जिला मुख्यालय की सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं।
तीन साल में मप्र में 1990 हादसे
सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में आंकड़े दिए हैं कि वर्ष 2020 से 2022 के बीच राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सभी श्रेणी की सड़कों पर गड्ढों के होने से उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक 4,687 दुर्घटनाएं हुईं और 2,400 से अधिक मौतें हुईं। इसके बाद सड़क दुर्घटनाएं मध्यप्रदेश में 1,990 हुई हैं और मौतों की संख्या 515 है। इन्हीं तीन सालों में आंध्रप्रदेश, बिहार और गोवा में सड़कों में गड्ढों से एक भी दुर्घटना नहीं हुई। जबकि एमपीआरडीसी के रिकॉर्ड में वर्ष 2021 से 2023 के बीच करीब 1,200 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। प्रदेश में चार सौ ज्यादा ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं।
गोवा में गड्ढों की संख्या इसलिए शून्य : बात 14 अगस्त की है। इस दौरान सड़कों पर गड्ढे मिलने पर सरकार ने 100 से ज्यादा ठेकेदारों को नोटिस जारी किए और कहा है कि अगर गड्ढे से हादसा हुआ तो इंजीनियर जिम्मेदार होंगे।
नाकाम हो रहे प्रयास
- पीटीआरआई-पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट प्रदेश में हादसों की मॉनिटरिंग एवं मृत्युदर को कम करने के लिए शोध करता है।
- दुर्घटना से संबंधित सभी जानकारियां आईआरएडी ऐप के जरिए दी जा रही हैं।
- पीटीआरआई और जिलों में 1500 अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
हादसे रोकने कर रहे उपाय
प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जगह-जगह संकेत बोर्ड लगाए गए हैं। चिन्हित ब्लैक स्पॉट के बारे में बताया गया है। खराब सड़कों की मरम्मत कराते हैं। -सुनील वर्मा, चीफ इंजीनियर, एमपीआरडीसी
संबंधित एजेंसी को देते हैं रिपोर्ट
जहां भी ज्यादा एक्सीडेंट या मौतें होती है, वहा की जांच के बाद रिपोर्ट तैयार करते है। इसमें ब्लैक स्पॉट, कर्व, टर्न, जियोग्राफिकल पोजीशन आदि का विश्लेषण किया जाता है, संबंधित सड़क निर्माण एजेंसी को रिपोर्ट सौंप देते हैं। -अनिल गुप्ता, एडीजी, पीटीआरआई, भोपाल