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क्या इजराइल में भी हो सकता है तख्तापलट! पीएम नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन तेज, दोबारा शुरू हुआ गाजा युद्ध बना कारण

यरुशलम। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। गाजा युद्ध को दोबारा शुरू करने, शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बर्खास्तगी और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग करते हुए राजधानी यरुशलम में उनके आवास की ओर मार्च किया। विरोध प्रदर्शनों के बीच सवाल उठने लगे हैं कि क्या इजराइल में जल्द ही सत्ता परिवर्तन होगा।

गाजा युद्ध और बंधकों की सुरक्षा को लेकर नाराजगी

गाजा में संघर्ष विराम टूटने के बाद नेतन्याहू सरकार ने फिर से हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। इस बीच, अब भी हमास के कब्जे में 59 बंधक हैं, जिनमें से लगभग 24 के जीवित होने की संभावना जताई जा रही है। जनता का आरोप है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू राजनीतिक लाभ के लिए युद्ध को लंबा खींच रहे हैं, जिससे बंधकों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों की बर्खास्तगी से बढ़ा असंतोष

नेतन्याहू सरकार ने हाल ही में शिन बेट खुफिया एजेंसी के प्रमुख रोनन बार और अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मिआरा को उनके पदों से हटा दिया। इस फैसले से देशभर में असंतोष फैल गया है। सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए पूर्व सैन्य और सुरक्षा अधिकारियों के संगठन डिफेंसिव शील्ड फोरम ने विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है और नेतन्याहू की नीतियां तानाशाही की ओर इशारा कर रही हैं।

सड़कों पर उतरा जनसैलाब

मंगलवार रात को हजारों प्रदर्शनकारी यरुशलम की सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने इजराइली झंडे और पीले बैनर लहराते हुए प्रधानमंत्री आवास की ओर मार्च किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मुख्य राजमार्गों को बंद कर दिया और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। प्रदर्शन में कम से कम 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले से ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। अब उनके सुरक्षा और न्याय प्रणाली को कमजोर करने के फैसले ने उनकी स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि विरोध प्रदर्शनों की तीव्रता बढ़ती रही, तो नेतन्याहू के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो सकता है। इससे उनकी सरकार गिर सकती है या उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

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