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वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, चीफ जस्टिस बोले- जरूरत पड़े तो लॉकडाउन लगाइए

दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के चलते एक्यूआई का स्तर लगातार 500 से ऊपर बना हुआ है। इस पर वायु प्रदूषण के खतरे को देखते हुए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए केंद्र सरकार से जल्द से जल्द कदम उठाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आप देख रहे हैं कि हालात कितने गंभीर हैं। हम अपने घरों में भी मास्क लगाकर घूम रहे हैं। कोर्ट ने प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए लॉकडाउन का भी सुझाव दिया।

सरकार ने दिया पराली का बहाना

प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब में पराली जलने की वजह से वायु प्रदूषण हो रहा है। एसजी ने कहा कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नियम होने चाहिए, जिससे राज्य सरकारें उन पर कार्रवाई कर सकें। इसपर चीफ जस्टिस रमना ने सरकार से पूछा- आप क्यों ऐसा जताना चाहते हैं कि सिर्फ पराली जलाने से ही प्रदूषण हो रहा है। उससे सिर्फ कुछ प्रतिशत ही प्रदूषण फैल रहा है, बाकी का क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा इमरजेंसी प्लान

चीफ जस्टिस ने सवाल उठाते हुए कहा- आप दिल्ली का प्रदूषण रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? आपको इमरजेंसी प्लान लाना चाहिए। इमरजेंसी उपाय करने के लिए आपकी क्या योजना है? दो दिन का लॉकडाउन? AQI कम करने के लिए क्या प्लान है आपका? हमें सिर्फ दो तीन दिन का प्लान नहीं, बल्कि सही प्लान बताइए।

पटाखों और उद्योगों के प्रदूषण का मुद्दा भी उठा

चीफ जस्टिस ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “प्रदूषण में कुछ हिस्सा पराली जलने का हो सकता है, लेकिन बाकी दिल्ली में जो प्रदूषण है वो पटाखों, उद्योगों और धूल-धुएं की वजह से है। हमें तत्काल इसे नियंत्रित करने के कदम बताएं। अगर जरूरत पड़े तो दो दिन का लॉकडाउन या कुछ और कदम लीजिए। ऐसी स्थिति में आखिर लोग जिएंगे कैसे?”

बच्चों को लेकर जताई चिंता

सीजेआई के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “कोरोना महामारी के बाद स्कूल भी खोल दिए गए हैं। हमने अपने बच्चों को इस स्थिति में खुला छोड़ा है। डॉक्टर गुलेरिया कहते हैं कि जहां प्रदूषण है, वहां ये महामारी है।” हालांकि, इस पर सॉलिसिटर ने कहा कि आज ही सरकार की एक बैठक प्रस्तावित है। सरकार भी इस मामले पर जागरूक है।

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