राष्ट्रीयव्यापार जगत

बिजनेसमैन राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन, चेतक स्कूटर ने बदल दी थी कंपनी की किस्मत

बजाज मोटर्स के संस्थापक राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। राहुल बजाज 50 साल तक अपनी खड़ी की हुई कंपनी के चेयरमैन भी रहे। उन्हें सरकार ने 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। बजाज लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। रूबी हॉल क्लिनिक के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. पुरवेज ग्रांट ने कहा कि उन्हें निमोनिया था और दिल की भी समस्या थी।

जानिए राहुल बजाज के बारे में

राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को राजस्थान के मारवाड़ी परिवार में हुआ था। राहुल बजाज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजसेवी जमनालाल बजाज के पोते हैं। बचपन से ही व्यवसायिक परिवार से ताल्लूक रखने वाले राहुल बजाज के रगो में भी बिजनेस ही दौड़ता था। स्कूल के दिनों में वो बॉक्सिंग चैंपियन थे, फिर सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकनॉमिक्स में बीए की डिग्री ली। मुंबई यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री लेने के बाद अमेरिका चले गए। वहां हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री पूरी की। 1965 में 1968 में बजाज ऑटो के सीईओ बनाए गए। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफ़न कॉलेज से इकोनॉमिक ऑनर्स करने के बाद राहुल बजाज ने तीन साल तक बजाज इलेक्ट्रिकल्स कंपनी में ट्रेनिंग की। भारत लौटे। इसी दौरान उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से वक़ालत की पढ़ाई भी की हैं। राहुल बजाज ने 60 के दशक में अमेरिका के हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एमबीए की डिग्री ली थी।

चेतक स्कूटर का निर्माण किया गया। फोटो – सोशल मीडिया

ऐसा रहा था चेतक पर देश का सफर

बजाज ऑटो लिमिटेड को 1959 में स्कूटर और थ्री व्हीलर बनाने का लाइसेंस मिला। 1961 में बजाज ने चेतक का प्रोडक्शन शुरू किया। 1972 में चेतक के 1000 स्कूटर का पहला लॉट बाजार में उतारा गया। इस दौरान इसकी कीमत 8 हजार से 10 हजार के बीच थी। 1977 में पहली बार बजाज कंपनी ने 1 लाख चेतक स्कूटर बेचे। शुरुआत में स्कूटर का बुकिंग पीरियड करीब 3 महीने का था। बाद में एक समय ऐसा भी आया जब चेतक को पाने के लिए लोगों को 20 महीने तक इंतजार करना पड़ा। 1986 में चेतक की बिक्री का आंकड़ा 8 लाख पहुंच गया, जो कि एक रिकॉर्ड था। बताते हैं कि भारत के महान योद्धा महाराणा प्रताप के प्रसिद्ध घोड़े के नाम पर इसे चेतक नाम मिला था।

1965 में संभाली थी समूह की कमान

राहुल बजाज ने 1965 में बजाज समूह की कमान संभाली थी। उस समय भारत एक बंद अर्थव्यवस्था थी। उन्होंने कंपनी का नेतृत्व करते हुए बजाज चेतक नाम का स्कूटर बनाया। इस स्कूटर को काफी नाम मिला और इसे भारत के मध्यम वर्गीय परिवार की आकांक्षा का सूचक माना गया। इसके बाद कंपनी लगातार आगे बढ़ती चली गई। 2005 में राहुल ने बेटे राजीव को कंपनी की कमान सौंपनी शुरू की थी। तब उन्होंने राजीव को बजाज ऑटो का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था, जिसके बाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कंपनी के प्रोडक्ट की मांग न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई

इन क्षेत्रों में काम करती है उनकी कंपनी

राहुल के बजाज समूह को देश-विदेश में निर्मित उत्पादों और फाइनेंशियल सर्वेसेज प्रदान करने के लिए जाना जाता है। बजाज समूह का बिजनेस दुपहिया वाहन, घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रिक लैम्प, पवन ऊर्जा, विशेष मिश्र धातु और स्टेनलेस स्टील, फोर्जिंग, बुनियादी ढांचे के विकास, सामग्री हैंडलिंग उपकरणों, यात्रा, जनरल और जीवन बीमा और निवेश में वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है।

राहुल बजाज को राष्ट्रपति केआर नारायण ने 2001 में पद्म भूषण अवॉर्ड का सम्मान दिया था। फोटो – सोशल मीडिया

इन पुरस्कारों से हो चुके सम्मानित

  • साल 2001 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ प्रदान किया गया था। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल द्वारा अलुमिनी (पूर्व छात्रों) अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
  • फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा “नाइट इन द आर्डर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर” नियुक्त किया गया था।
  • भारत सरकार ने साल 1975 में उन्हें राष्ट्रीय गुणवत्ता एश्योरेंस संस्थान द्वारा ‘मैन ऑफ़ द ईयर” के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • सन 1990 में प्रबंधन के क्षेत्र में सबसे विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें बॉम्बे मैनेजमेंट एसोसिएशन पुरस्कार प्राप्त किया।
  • प्रिंस ऑफ़ वेल्स ने उन्हें “प्रिंस ऑफ़ वेल्स इंटरनेशनल बिजनेस लीडर्स फोरम” का सदस्य फरवरी 1992 में बनाया इसके बाद FIE फाउंडेशन ने उन्हें साल 1996 में राष्ट्र भूषण सम्मान से पुरस्कृत किया था।
  • लोकमान्य तिलक स्मारक ट्रस्ट द्वारा सन 2000 में बजाज को तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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