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सिद्ध महात्मा की डांट से सुधरा ब्राह्मण, सामाजिक मुद्दों पर मंचित हुईं कहानियां

शहीद भवन में नाटक ‘सवा सेर गेहूं’ और नृत्य- नाटिका ‘अमृत प्रवाह’ का मंचन

देश की आजादी से पहले लिखी गई कहानी ‘सवा सेर गेहूं’ का मंचन शहीद भवन में शनिवार शाम को सात बजे हुआ। कहानी की विषयवस्तु ने सिर्फ यह आभास कराया कि गरीबी में जीने वाले परिवार किन कठोर परिस्थितियों का सामना करने को मजबूर हैं। कहानी का मुख्य किरदार शंकर अपनी जान की कीमत पर भी सवा सेर आटे की उधारी चुका नहीं पाता और उसके परिवार को भी बंधुआ मजदूर बनना पड़ता है। नटखट नाट्य समारोह में रंग त्रिवेणी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति के कलाकारों ने शोषण की पराकाष्ठा को भावपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त किया। नाटक का निर्देशन रचना मिश्रा ने किया था।

सवा सेर गेहूं मिला उधार

नाटक में गरीब किसान शंकर के घर एक साधु पधारते हैं और रात का भोजन मांग बैठते हैं। शंकर सबसे अमीर ब्राह्मण विष्णु प्रसाद के यहां आटा मांगने जाता है। जहां उसे आटे के बदले में गेहूं उधार दिया जाता है। शंकर का बेटा पिता पर हुए अत्याचार की बात महात्मा को बताता है उसके बाद महात्मा पंडित को डांटते हैं। जिसके बाद पंडित सुधर जाता है।

नृत्य में जल का बताया महत्व

इस मौके पर अमृत प्रवाह नृत्य-नाटिका मंचन किया गया। मंच पर कनिष्का पुरी, मुस्कान पंडित, श्रीदा शुक्ला, दिव्या साहू और नंदिनी पारे ने नृत्य नाटिका के जरिए जल का महत्व बताया। नृत्य नाटिका की प्रस्तुति अक्षदा सोशल वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में दी गई।

बहुत अच्छा लगा नाटक नाटक

बहुत अच्छा लगा। ऐसे नाटक बार-बार देखने की इच्छा होती है। कलाकारों ने गरीबी में जीने वाले किसान किन कठोर परिस्थितियों का सामना करते है। इसको बहुत अच्छे से मंचित किया। -नाटक ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया मोनिका विश्वकर्मा, दर्शक

नृत्यांगनाओं को पहली बार इतने करीब से देखा

नृत्य – नाटिका में नृत्यांगनाओं ने बहुत अच्छा डांस किया। पहली बार इतने करीब से नृत्यांगनाओं को डांस करते देखा है। नृत्यांगनाओें ने जल के महत्व को डांस के जरिए बताया। काफी खुशी हुई यह देखकर। -वर्षा पांडे, दर्शक

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