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चुनाव में बॉलीवुड की चमक का दौर खत्म, अब पार्टियों के लीडर ही सितारे

भोपाल। लोकसभा चुनाव में अगर आप फिल्म स्टारों का इंतजार कर रहे हैं तो आपका इंतजार व्यर्थ जा सकता है। क्योंकि इस लोकसभा चुनाव से फिल्मी सितारे प्रचारक नदारद हैं। बदलते दौर में पार्टियों ने अपनी प्रचार रणनीति बदलते हुए अपने लीडर्स को ही स्टार प्रचारक के तौर पर मतदाता के सामने पेश किया है। भाजपा से पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ, जैसे लीडर सभाएं और रोड शो कर रहे हैं तो कांग्रेस में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव प्रियंका गांधी जैसे लीडर ने ही कमान संभाली है।

वो एक दौर था…: चुनावों का एक दौर वह था जब लोगों की भीड़ जमाने के लिए फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियों की सभाएं होती थीं। कांग्रेस और भाजपा के अलावा समाजवादी पार्टी की ओर से ये सितारे चुनावों में समा बांधते थे।

इन सितारों से सजती थीं चुनावी सभाएं

हेमा मालिनी: चुनाव प्रचार के लिए जिस फिल्मी कलाकार की सबसे ज्यादा डिमांड होती थी उनमें सबसे अव्वल ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी का नाम होता था। हेमा मालिनी वर्षों से भाजपा का प्रचार करने के लिए मप्र आती रही हैं। इस दौरान वे अपनी हिट फिल्म शोले के डायलॉग बोलती तो भीड़ तालियां पीटती, सीटी बजाती।

शत्रुघ्न सिन्हा: कालीचरण जैसी फिल्मों से अलग छवि बनाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा के लिए प्रचार करते रहे हैं। उनके ‘खामोश’ डायलॉग की बेहद डिमांड रहती थी।

राज बब्बर: कांग्रेस की ओर से राज बब्बर लंबे समय तक प्रचार करते रहे। राज बब्बर संजीदा कलाकारों में शामिल रहे हैं।

जया प्रदा-जया बच्चन: फिल्म अभिनेत्रियां जया प्रदा और जया बच्चन समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करती रही हैं। बैतूल लोकसभा के उप चुनाव में पहुंचीं तो बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी।

नगमा-उर्मिला: नगमा और उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस के लिए प्रचार करती रही हैं। अब नगमा ने चुनावों में प्रचार करना छोड़ दिया है। उर्मिला ने राजनीति को टा- टा कह दिया।

राजनीति में उदारता नहीं बची

नई पीढ़ी के कलाकारों की राजनीति में कोई रुचि नहीं है। इसकी बड़ी वजह राजनीति में उदारता की कमी है। वैमनस्यता बढ़ गई है। कोई भी कलाकार यह सोचता है कि किसी दल का प्रचार किया तो ऐसा नहीं हो कि दूसरे दल के नेता उनसे बदले की भावना रखें। हमने एक दौर ऐसा रहता था जब एक कलाकार एक राज्य में किसी पार्टी के समर्थन में तो दूसरे राज्य में उसी पार्टी के विरोध में भी प्रचार करते थे। अब वैसा माहौल नहीं।-देव श्रीमाली-राजनीतिक विश्लेषक

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