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कुछ और सांसदों पर दांव लगा सकती है भाजपा, वीडी शर्मा के लड़ने की अटकलें

विस चुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति

मनीष दीक्षित- भोपाल। अगले महीने होने वाले विस चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत 7 सांसदों को प्रत्याशी बनाने के बाद क्या भाजपा कुछ और सांसदों पर दांव लगा सकती है? यह सवाल पार्टी में चर्चा का विषय है। इधर, छग में प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को विस चुनाव में प्रत्याशी बनाए जाने के बाद मप्र में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गई हैं। दरअसल, वीडी की तरह साव भी सांसद हैं। उन्हें लोरमी से प्रत्याशी बनाया गया है। साव ने पहला लोस चुनाव 2019 में लड़ा और बिलासपुर सीट से विजयी हुए। इसी प्रकार शर्मा ने भी अपना पहला चुनाव 2019 में लड़ा और खजुराहो से सांसद हैं। भाजपा, तेलंगाना में भी पार्टी की कमान संभाल रहे केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी और तीनों सांसदों- संजय बंदी, अरविंद धर्मपुरिया, सोयम बाबू राव समेत राजेंद्र इटेला को भी विस चुनाव में उतार सकती है।

वीडी और साव में ये समानताएं भी

  • विष्णु दत्त की तरह ही अरुण साव ने भी अपनी शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी।
  • दोनों प्रदेश संगठन की कमान भी संभाल रहे हैं।
  • पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण को देखते हुए दोनों को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।

सिंधिया को लेकर भी अटकलें

इधर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यालय की ओर से उनके विस चुनाव ना लड़ने की खबर को शुक्रवार को पूर्णत: आधारहीन व फर्जी बताया गया। हालांकि, इसके बाद उनके चुनाव लड़ने की संभावना बढ़ गई है।

किसी प्रदेश अध्यक्ष को विस चुनाव लड़ाने का प्रयोग नया नहीं

पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा ने पहली बार प.बंगाल और त्रिपुरा में यह प्रयोग किया था। असम में वहां के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत दास को पताचारकुची सीट से, झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ को चक्रधर विधानसभा से, बंगाल में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद लॉकेट चटर्जी, सांसद निसिथ प्रामाणिक, सांसद जगन्नाथ सरकार, राज्यसभा सांसद स्वप्न दास गुप्ता को विस चुनाव में उतारा गया था। त्रिपुरा में केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को विधानसभा चुनाव में उतारा गया था।

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